भोपाल।
आयकर के छापों में घिरी कमलनाथ सरकार ने अब शिवराज सरकार में हुए घोटालों को लेकर भाजपा को घेरना शुरु कर दिया है। ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच के बाद राज्य सरकार ने पिछली सरकार में बांटे गए सीएम स्वेच्छानुदान की जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि सागर संभाग समेत 22 जिलों में पांच साल के दौरान करोड़ों रुपए बांटे गए है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने बीते 5 साल में स्वेच्छानुदान के नाम पर बांटी गई राशि का ब्योरा मांगा है।
बीजेपी ने जहां इसे षड़यंत्र के के तहत कार्रवाई करने की बात कही है वही राज्य सरकार का कहना है कि हम सरकारी खजाने का अगला-पिछला हिसाब ले रहे है, ताकी जनता को पता चल सके कि आखिर कैसे प्रदेश पर 2 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया । माना जा रहा है कि जांच के सामने आने के बाद कई अधिकारियों-कर्मचारियों और भाजपा नेताओं पर शिंकजा कसा जा सकता है।
दरअसल, बीते सरकार मे हुए घोटालों में अब मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान में भी घोटाले की बात सामने आई है। खबर है कि पिछली सरकार में सागर समेत 22 जिलों से बीते पांच साल में स्वेच्छानुदान के नाम पर करोड़ों रुपए बांटे गए। वित्त वर्ष 2018-19 में विधानसभा चुनाव-2018 की आदर्श चुनाव आचार संहिता लगने से पहले ही सरकार ने 50 करोड़ रुपए से अधिक और 2017-18 में 149 करोड़ रुपए और 2016-17 में 78 करोड़ रुपए बांटे गए।
ब्रांडिंग में कर्ज किए करोड़ों
राज्य सरकार को शक है कि यह राशि विधानसभा चुनाव के आखिरी महिनों मे शिवराज सरकार की ब्रांडिंग के लिए तेजी से बांटी गई थी।हैरानी की बात तो ये है कि जो लोग इसमे पात्र भी नही थे उन्हें भी राशि का लाभ पहुंचाया गया है।इस संबंध में सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अधिकारियों से बांटी गई राशि का ब्योरा मांगा है। सरकार ने संबंधित जिलों के जवाबदेह अधिकारियों से पूछा है उनके जिलों के लिए वर्ष 2011-12 से 2016-17 में कितनी राशि मंजूर हुई और कितनी वितरित की गई।
इन जिलों से मंगाई जानकारी
टीकमगढ़, श्याेपुर, शहडोल, शाजापुर, विदिशा, सागर, सिंगरौली, सिवनी, सीहोर, रीवा, आगर-मालवा, रतलाम, पन्ना, इंदौर, जबलपुर, खंडवा, होशंगाबाद, दमोह, छतरपुर, बालाघाट, अशोकनगर और अनूपपुर।