Kamal Nath allegations Ayushman Bharat Yojana: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाये हैं, उन्होंने इसे सफ़ेद हाथी करार दिया है, कमलनाथ ने इस योजना में शामिल बीमारियों की सूची से 196 बीमारियों को हटाने पर ऐतराज जताते हुए इसे वापस सूची में शामिल करने की मांग की है।
2018 में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्र हितग्राही को 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है, हाल ही में इस योजना में 70 साल से अधिक आयु के सभी बुजुर्गों को भी शामिल किया गया है, इस योजना में 1760 बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में करवाने की सुविधा सरकार ने दी लेकिन कुछ शिकायतों के बाद सरकार ने 196 बीमारियों को इलाज वाली सूची से अब हटा दिया है, यानि अब इन 196 बीमारियों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में नहीं होगा।
196 बीमारियों को निजी अस्पतालों में इलाज की सूची से बाहर किया
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने X पर लिखा- आयुष्मान योजना धीरे-धीरे सफ़ेद हाथी बनती जा रही है। मध्य प्रदेश में 196 बीमारियों को निजी अस्पतालों में इलाज की सूची से बाहर कर दिया गया है। दूसरी तरफ़ सरकारी अस्पतालों में उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं है।
आयुष्मान कार्ड का अप्रभावी हो जाना चिंता का विषय : कमलनाथ
कमलनाथ ने लिखा- मलेरिया, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, छोटे बच्चों की बीमारी, बुजुर्गों की कई बीमारियाँ निजी अस्पतालों में इलाज से बाहर कर दी गई हैं। बड़ी संख्या में बीमारियों को निजी अस्पतालों में उपचार से बाहर करने से आयुष्मान कार्ड धारक उपचार कराने के लिए परेशान हो रहे हैं। मध्य प्रदेश पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में निचले पायदान पर है और उस पर आयुष्मान कार्ड का अप्रभावी हो जाना लोक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत चिंता का विषय है।
सूची से हटाई गई बीमारियों को इलाज के लिए फिर शामिल किया जाये
उन्होंने कहा, स्वास्थ्य की रक्षा करना और अच्छा उपचार कराना हर नागरिक का मूलभूत अधिकार है। मैं मुख्यमंत्री से माँग करता हूँ कि इस विषय में गंभीरता से विचार करें और एक कमेटी बनाकर बहुत सारी बीमारियों को दोबारा निजी अस्पतालों में उपचार के लिए खोला जाए। जो अस्पताल आयुष्मान कार्ड का दुरुपयोग कर रहे हैं, उन पर निश्चित तौर पर सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन इस कार्रवाई का मतलब यह नहीं कि मध्य प्रदेश के ज़रूरतमंद नागरिक उपचार से वंचित कर दिए जाएं।
आयुष्मान योजना धीरे-धीरे सफ़ेद हाथी बनती जा रही है। मध्य प्रदेश में 196 बीमारियों को निजी अस्पतालों में इलाज से बाहर कर दिया गया है। दूसरी तरफ़ सरकारी अस्पतालों में उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं है।
मलेरिया, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, छोटे बच्चों की बीमारी, बुजुर्गों की कई बीमारियाँ…— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 12, 2024