भोपाल।
प्रदेश की कमलनाथ सरकार अपना एक और वचन पूरा करने जा रही है। कमलनाथ सरकार योगी सरकार की तर्ज पर प्रदेश में गौशालाएं खोलने जा रही है। सरकार ने फैसला किया है कि अगले चार माह में मध्यप्रदेश सरकार एक हजार गौशाला बनवाएगी। इसमें एक लाख निराश्रित गौ-वंश की देख-रेख होगी और 40 लाख मानव दिवसों का निर्माण होगा। इसके लिए अधिकारियों को प्रोजेक्ट गौ-शाला को तत्काल पूरा करने के निर्देश दिए गए है। ग्रामीण विकास विभाग प्रोजेक्ट गौ-शाला का नोडल विभाग होगा। ऐसा करके कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले एक और वचन पूरा करेगी।बताते चले कि प्रदेश में अब तक कोई भी शासकीय गौ-शाला नहीं खोली गयी थी।
दरअसल, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वचन पत्र में पंचायत स्तर पर गौशाला खोलने का वादा किया था। जिसे अब सरकार पूरा करने जा रही है।मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फैसला किया है कि वो मई महिने तक एक हजार गौशालाएं खोलेगी। इसके साथ ही चार रुपये प्रति गाय को दी जा वाली सब्सिडी बढ़ाकर बीस रुपये की जाएगी।ग्रामीण विकास विभाग प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी होगी, जबकि ग्राम पंचायत और स्वयं सहायता समूह सहित अन्य संगठन राज्य गो संरक्षण बोर्ड से संबद्ध होंगी। जिला समिति जिस संस्था को चयनित करेगी, वही इस प्रोजेक्ट को लागू करेगी। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है जल्द ही कैबिनेट में इसे पेश कर मंजूरी दी जाएगी।
खबर है कि इसके लिए सरकार पर 450 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। पहले चरण में 100 करोड़ रुपए इस काम में खर्च होंगे, जिसमें 8 से 10 पंचायतों के बीच एक गौशाला बनाई जाएगी। प्रति गाय को प्रतिदिन 20 रुपए तक सबसिडी दी जाएगी। ग्राम पंचायत, स्व-सहायता समूह, राज्य गौ-संवर्धन बोर्ड से संबद्ध संस्थाएँ एवं जिला समिति द्वारा चयनित संस्थाएँ प्रोजेक्ट गौ-शाला का क्रियान्वयन करेंगी। पशुपालन विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में पशुपालन विभाग की कार्ययोजना को लेकर मंगलवार को बैठक हुई, इसमें यह निर्णय लिए गए।
बैठक में हुए ये निर्णय
-निजी संस्थाएँ भी प्रोजेक्ट गौ-शाला में शामिल हो सकेंगी
-मुख्यमंत्री ने निजी संस्थाओं से भी इस परियोजना में भाग लेने का आग्रह किया।
-स्वामित्व संचालन और प्रबंधन के आधार गौ-शालाओं के संचालन की सम्भावनाएँ तलाशने के भी निर्देश दिए।
– प्रोजेक्ट गौ-शाला से शहरों और गाँवों में निराश्रित पशुओं द्वारा पहुँचाये जा रहे नुकसान से निजात मिलेगी।
– प्रदेश में 614 गौ-शालाएँ हैं जो निजी क्षेत्र में संचालित है। अब तक एक भी शासकीय गौ-शाला संचालित नहीं है।
ये होगा फायदा
-निराश्रित पशुओं को घर आश्रय मिलेगा।
-साथ ही ग्रामीण रोज़गार के भी अवसर निर्मित होंगे।
-चार माह बाद इन गौ-शालाओं का विस्तार होगा।
-गौ-शाला प्रोजेक्ट के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति होगी।
-विकासखंड स्तर की समिति में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अध्यक्ष होंगे।
-गौ-शाला में शेड, ट्यूबवेल, चारागाह विकास, बायोगैस प्लांट, नाडेप, आदि व्यवस्थाएँ होंगी।
फंड की व्यवस्था पंचायत, मनरेगा, एमपी-एमएलए फंड तथा अन्य कार्यक्रमों के समन्वय से होगी।
-जिला समिति गौ-शालाओं के लिए स्थल चुनेंगी।