कमलनाथ बोले मैं छिंदवाड़ा नहीं छोडूंगा, वीडी शर्मा बोले – कांग्रेस को ही मध्य प्रदेश की जनता ने नकार दिया, अब इन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने लिखा - "कमलनाथ छिंडवाड़ा छोड़ें या ना छोड़ें.. लेकिन छिंदवाड़ा की जनता इस बार कांग्रेस और कमलनाथ का साथ छोड़ने के लिए आतुर है, कांग्रेसी नेताओं के इसी घमंड को तोड़ने का प्रण इस बार मध्यप्रदेश की जनता ने लिया है।

Kamal Nath - VD Sharma

MP Congress : पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज मीडिया से बात करते हुए पार्टी नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया कि वे छिंदवाड़ा नहीं छोड़ेंगे, उनका ये बयान उनके जबलपुर से चुनाव लड़ने की अटकलों के बाद आया है जिसने सियासत को और हवा दे दी है, कमलनाथ के बयान पर भाजपा ने कमलनाथ सहित कांग्रेस कर तंज कसा है।

कमलनाथ का बयान- मैं छिंदवाड़ा किसी भी हालत में नहीं छोडूंगा

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मैं छिंदवाड़ा किसी भी हालत में नहीं छोडूंगा, उन्होंने कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर कहा, सुरेश पचौरी जी हुए है तो होयें …उन्होंने कहा कि अरुणोदय चौबे तो पहले ही कांग्रेस छोड़ चुके दीपक जोशी तो वहीं के थे।

वीडी शर्मा बोले – कमलनाथ और दिग्विजय की सुनने वाला कौन है?

कमलनाथ के इस बयान के बाद भाजपा ने उसपर तंज कसा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा  ने कहा कि आज जो कमलनाथ या दिग्विजय सिंह जो कुछ कह रहे हैं उनकी सुनने वाला है क्या कोई? उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस को प्रदेश ने नकार दिया है कमलनाथ और दिग्विजय को इसे गंभीरता से स्वीकार कर लेना चाहिए ।

आशीष अग्रवाल का तंज – जनता इस बार कांग्रेस और कमलनाथ का साथ छोड़ने के लिए आतुर

कमलनाथ के बयान को सोशल मीडिया X पर शेयर करते हुए भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने लिखा – “कमलनाथ छिंडवाड़ा छोड़ें या ना छोड़ें.. लेकिन छिंदवाड़ा की जनता इस बार कांग्रेस और कमलनाथ का साथ छोड़ने के लिए आतुर है, कांग्रेसी नेताओं के इसी घमंड को तोड़ने का प्रण इस बार मध्यप्रदेश की जनता ने लिया है,  एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी कहते हैं ‘पार्टी जाए तेल लेने’, तो वहीं कमलनाथ जी को भी ‘कोई फर्क नहीं पड़ता’ कि पार्टी में कोई रहे या जाए इसी को कहते हैं रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई ।

 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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