भोपाल| मध्य प्रदेश के चर्चित आबकारी अधिकारी संजीव दुबे को मलाईदार पोस्टिंग देने के मामले की गूँज विधानसभा में भी सुनाई दी| इंदौर मैं 42 करोड़ के आबकारी घोटाले से सुर्खियों में आए सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे को लेकर विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगा। भाजपा विधायक प्रदीप पटेल और कांग्रेस के सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा ने संजीव की धार जिले में पदस्थापना पर सवाल उठाये और अधिकारी को तत्काल पद से हटाने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी धार के बजाय किसी दूरस्थ स्थान पर अटैच करने की मांग की। धार जिले के विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने भी संजीव दुबे को गंभीर अनियमितताओं का आरोपी मानते हुए हटाने की मांग की। वहीं इस मामले में विभागीय मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर टालमटोल करते रहे| पिछली सरकार में भी अपने रसूख के दम पर दागी अधिकारी के वारे न्यारे होते रहे, अब कांग्रेस सरकार पर भी यह अधिकारी भारी पड़ रहा है| जिसे हटाने का फैसला सरकार कर नहीं पा रही है| जबकि विपक्ष रहते हुए कांग्रेस इसी अधिकारी को लेकर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे|
दरअसल, पिछले दिनों देवास जिले में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे का तबादला सबसे कमाई वाले जिले धार में कर दिया गया है| खबर है कि पिछले कई दिनों से एक शराब माफिया दुबे की पोस्टिंग धार कराने के लिए सक्रिय रहा है और नई सरकार का कामकाज शुरू होते ही आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादलों के दौर में इस अधिकारी का भी तबादला कर दिया गया| राजनीतिक गलियारे में इस तबादले की चर्चा जोरो पर है| सवाल खड़ा हो रहा है कि एक दागी अधिकारी को ऐसे जिले में अनानं फानन में क्यों पोस्टिंग दी गई, जबकि यह अधिकारी पूर्व में तीन साल तक जिले में पदस्थ रह चुका है और यहाँ कई घोटालों में भी नाम सामने आया है| चर्चा है कि इस तबादले के पीछे कई लोगों का हित जुड़ा हुआ है, धार में पोस्टिंग के कई मतलब है| क्यूंकि प्रदेश के अधिकाँश शराब माफियाओं की अवैध शराब धार, झाबुआ और आलीराजपुर जिलों से होकर गुजरात में भेजी जाती है और गुजरात भेजी जाने वाली शराब में डिस्टिलर्स से लेकर लाइसेंसी ठेकेदार, ब्लेकर, आबकारी अधिकारी और नेताओं का बड़ा हिस्सा होता है| यह क्षेत्र घोटालेबाजों के लिए चांदी वाला गढ़ है| पूर्व की भाजपा सरकार के दौरान नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने इस मामले पर सरकार को जमकर कौसा था| और इंदौर के 42 करोड़ के आबकारी घोटाले में दुबे के नाम आने पर निलंबित करने के बाद बहाली पर सवाल उठाये थे| यहां तक कि सीएम हाउस जाकर लिखित शिकायत वहा लगी शिकायत पेटी में डालकर आये थे|
कौन है संजीव दुबे
संजीव दुबे वही अधिकारी है जिस पर इंदौर में शराब माफियाओं के साथ गठजोड़ कर सरकार को 42 करोङ रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाने का आरोप है | इस मामले में दिलचस्प पहलू यह है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक बाइस करोड रुपए की रिकवरी नहीं हो पाई है। इस मामले में संजीव दुबे सहित कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था लेकिन भाजपा सरकार में रसूख के चलते संजीव ने न केवल अपनी बहाली करा ली बल्कि देवास जैसे जिले में पदस्थापना तक करा डाली जबकि शासकीय नियमों में साफ उल्लेख है कि गंभीर विभागीय जांच के चलते किसी भी अधिकारी को मैदानी पदस्थापना नहीं दी जा सकती। ऐसा नहीं कि संजीव के खिलाफ यह पहला मामला हो ।पहले भी कई मामलों में संजीव आरोपों के घेरे में है और विदिशा, रतलाम व धार जिलों में रहते हुए शासकीय राजस्व को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया है। लेकिन भाजपा नेताओं से नजदीकी के चलते संजीव का बाल बांका भी ना हुआ। 2004 में विदिशा जिले में फंसे हुए संजीव ने कई शराब दुकानदारों से बिना लाइसेंस फीस जमा कराएं उन्हें दुकानें आवंटित कर दी थी जिसके चलते सरकार को लगभग पैसठ लाख रू के राजस्व का नुकसान हुआ। इस मामले में संजीव को आरोप पत्र जारी हुआ था। हैरत की बात यह है कि पैसठ लाख की गंभीर आर्थिक क्षति के बाद भी सरकार ने संजीव के रसूख के चलते उसे केवल एक वेतन वृद्धि रोक कर दंडित किया और बाद में दूसरे आबकारी आयुक्त ने इस सजा को भी माफ कर दिया जबकि इस सजा को माफ करने के अधिकार केवल शासन को थे। रतलाम में पदस्थ रहते हुए ही भी संजीव के ऊपर शासन को 75 लाख रू का नुकसान होने की शिकायत की गई थी जिस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। दरअसल रतलाम ,आलोट और जावरा में ठेकेदारों को पक्ष में राशि जमा न करने के बावजूद भी शराब प्रदाय कर दी गई थी जो शासकीय नियमों का सरासर उल्लंघन था। लेकिन संजीव के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस मामले में अवैध शराब का ट्रक पकड़े जाने पर आरोपियों के खिलाफ सीजेएम न्���ायालय ने टिप्पणी करते हुए इनकी आबकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत की पुष्टि की थी। धार जिले में भी अवैध शराब से भरा ट्रक ठीकरी थाने में पकड़ा गया था लेकिन इस मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।