लंबे समय से भोपाल प्रशासन ये संभावना जता रहा है कि जून के मध्य तक शहर में हज़ारों की संख्यां में कोरोना मरीज़ मिलेंगे, जिसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने इसे निपटने के लिए तैयारी कर ली है। इसे तैयारी के तहत मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानि मैनिट में प्रदेश का सबसे बड़ा क्वारंटाइन सेंटर बनाया जा रहा है। मैनिट के हॉस्टल नंबर 11 में क्वारंटाइन सेंटर बनाने का काम शुरू ही गया है। इस होस्टल में करीब 5 हजार लोगों को क्वारंटाइन करने की व्यवस्था की जा रही है लेकिन हैरानी की बात ये है कि मैनिट के स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर प्रशासन अन्य लोगों को ये सुविधा देने जा रहा है, जिसका मैनिट के छात्रों ने कड़ा विरोध किया है। मेनिट की स्टूडेंट कॉउन्सिल ने प्रशासन को पत्र लिख अपनी नाराजगी जाहिर की है।
समान गायब हुआ तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा
छात्रों ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह से हॉस्टल को क्वारंटाइन सेन्टर में बदलना ठीक नहीं। छात्रों ने साफ लिखा है अगर संस्थान इस तरह से क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील होगा तो उनकी पढ़ाई का बहुत नुकसान होगा। NRI स्टूडेंट, कॉलेज फैकल्टी और उनकी फैमिली के संक्रमित होने की आशंका है। इतना ही नहीं, हॉस्टल के रूम्स में छात्रों का जरूरी सामान है जिसे बिना उनकी इजाजत के कमरों से निकाल स्टोर रूम में रख दिया है। ऐसे छात्र सवाल खड़े कर रहे हैं कि उनकी जरूरी डॉक्यूमेंट ओर अन्य सामान अगर कहीं मिस होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। छात्रों ने प्रशासन से निवेदन किया है कि अगर क्वारंटाइन सेन्टर बनाना है तो हॉस्टल 3 ओर 4 को बनाए क्योंकि वो खाली हैं।
मैनिट प्रबंधन का कहना उनके पास नही कोई विकल्प
छात्रों की परेशानी समझने के बजाए मैनिट प्रबंधन ने पूरे मामले से ही हाथ खींच लिए हैं। प्रबंधन का कहना कि महामारी एक्ट के अनुसार उन्हें हॉस्टल प्रशासन को सौंपना पड़ा, लेकिन हॉस्टल में रखे सामान की वीडियोग्राफी करा ली गयी है ताकि किसी के सामान को कुछ नुकसान न हो। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या बिना छात्रों के इस तरह से उनके कमरों से सामान निकलना सही है, अगर किसी के समान से कुछ गायब होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।