BHOPAL AIIMS NEWS : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रा. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में, संस्थान ने एक बार फिर चिकित्सा अनुसंधान, नवाचार और स्वस्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता को साबित किया है। हाल ही में संस्थान के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने हाइड्रैडेनाइटिस सपुराटिवा (एचएस) से पीड़ित दो मरीजों को सफल शल्य चिकित्सा के जरिए राहत दी है। यह एक पुरानी त्वचा की समस्या है, जो शरीर के उन हिस्सों को प्रभावित ‘करती है जहां पसीने की ग्रंथियां और बालों के रोम अधिक होते हैं, जैसे कि बगल, शरीर के नितंबों के बीच और जांघों में। इस बीमारी से फोड़े, गांठें और घाव होते हैं, जो समय पर इलाज न मिलने पर काफी तकलीफदेह हो जाते हैं।
हाइड्रैडेनाइटिस सपुराटिवा
“हाइड्रैडेनाइटिस सपुराटिवा जैसी जटिल बीमारियों का इलाज विशेषज्ञता और
संवेदनशीलता की मांग करता हैं। हमारे यहां ऐसे मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। यह पहल मध्य भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के नए मानक स्थापित करने की दिशा में एक कदम है।”
मरीजों को मिली खुशी
डॉ, गौरव चतुर्वेदी (एसोसिएट प्रोफेसर बर्न एवं ‘लास्टिक सर्जरी विभाग) ने उन मरीजों की सर्जरी की। ये मरीज लंबे समय से संक्रमण, घाव और शर्मिदगी झोल रहे थे। अन्य सभी दवाओं और उपचारों के असफल रहने के बाद सर्जरी को ही अंतिम विकल्प माना गया। सर्जरी के दौरान संक्रमित और खराब त्वचा को हटाया गया और उसके स्थान पर स्वस्थ त्वचा से बने फ्लैप्स का इस्तेमाल किया गया, ताकि समस्या फिर से न हो। सर्जरी के बाद दोनों मरीज पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें अब किसी अतिरिक्त इलाज की जरूरत नहीं है। एक मरीज ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वह अब बिना दर्द और शर्मिंदगी के सामान्य जीवन जी पा रहे हैं।
आनुवंशिक कारणों, हार्मोनल बदलाव और प्रतिरक्षा प्रणाली ‘की गड़बड़ी से बीमारी
हाइड्रैडेनाइटिस सपुराटिवा आनुवंशिक कारणों, हार्मोनल बदलाव और प्रतिरक्षा प्रणाली ‘की गड़बड़ी से होती है। धूम्रपान और मोटापा इसे और बढ़ा सकते हैं। दवाओं से राहत न मिलने की स्थिति में सर्जरी ही न इसका प्रभोवी इलाज है। एम्स भोपाल के इस प्रयास ने यह साबित किया है कि आधुनिक चिकित्सा, गंभीर बीमारियों को भी प्रभावी तरीके से ठीक कर सकती है।