प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले सर्वाधिक 10 प्रतिशत मतदान में वृद्धि हुई। आंध्रप्रदेश में यह बढ़ोतरी 8.78 प्रतिशत के आसपास रही। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने बताया कि मप्र में कुल मतदान 71 फीसदी हो गया है। इस प्रकार 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले देखें तो हमारे यहां मतदान में वृद्धि लगभग 10 फीसदी हुई है, जो अन्य किसी राज्य के मुकाबले सर्वाधिक है।
चौथे दौर की आठ लोकसभा सीटों में इंदौर लोकसभा को छोड़कर सभी क्षेत्रों में 70 फीसदी से अधिक मतदान हुआ। बीते तीन चरणों की 21 सीटों पर औसत मतदान 69.26 रहा। यह 2014 के मुकाबले 9.81 प्रतिशत अधिक है। चौथे चरण में 74 फीसदी से अधिक मतदान होने पर हमारा स्थान 2014 के मुकाबले मतदान में वृद्धि करने वाले राज्य में पहला हो जाएगा। उम्मीद के मुताबिक नतीजे भी आए और रात नौ बजे मतदान के आंकड़े ने 75 फीसदी के आंकड़े को पार कर लिया। तीनों चरण के हिसाब से इन आठ सीटों में मतदान को देखा जाए तो मतदान में सर्वाधिक वृद्धि इन्हीं आठ सीटों में दर्ज हुई है। इस बार प्रदेश में महिला मतदान में काफी बढ़ोतरी हुई है।
गांवों में ज्यादा गिरे वोट
लोकसभा चुनाव में यह तथ्य सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा वोट गिरे हैं। जबकि शहरी क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम ही रहा है। गांवों में ज्यादा वोट गिरने से मतदान प्रतिशत में भी उछाल आया है। इसमें अभी चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों के साथ सर्विस वोटरों के मत जुडऩा बाकी है। इसके बाद कुल मतदान प्रतिशत बीते दो लोकसभा चुनाव की तुलना में लगभग दस प्रतिशत बढ़ जाएगा।
छिंदवाड़ा फिर सबसे आगे
लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 29 में से 18 सीटों पर 70 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ। सर्वाधिक 82.10 फीसदी छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में हुआ। इसके बाद देवास में लगभग 80 फीसदी, बैतूल में 78.20, मंदसौर 77.74, मंडला 77.62 फीसदी, खरगोन 77.51, बालाघाट 77.36, खंडवा 76.80, रतलाम 75.19, धार 75.11, उज्जैन 74.93, शहडोल 74.58, राजगढ़ 74.32, होशंगाबाद 74.17, विदिशा 71.62, सतना 70.75, गुना 70.02 और इंदौर में 70 फीसदी मतदान हुआ। जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में अकेली छिंदवाड़ा ऐसी सीट थी, जहां 71.94 फीसदी मतदान हुआ था।