भोपाल| विधानसभा चुनाव में जीत के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस में प्रत्याशी चयन की कवायद तेज हो गई है| लोकसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर स्क्रीनिंग कमेटी की पहली औपचारिक बैठक शनिवार को होने जा रही है। बैठक में भाग लेने कि लिए शुक्रवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों के चयन और टिकट वितरण किए जाने पर विचार करेगी। बताया जा रहा है कि पार्टी जल्द ही उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर सकती है, कई सीटों पर प्रत्याशियों के नाम लगभग तय हो चुके हैं। ,कांग्रेस इस बार प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने के लक्ष्य को लेकर चल रही है| इसी के चलते स्क्रीनिंग कमेटी की इस पहली औपचारिक बैठक में पार्टी उम्मीदवारों के चयन को लेकर ठोस रणनीति तय करेगी। इस बैठक में प्रदेश की ऐसी सीटों पर भी चर्चा होगी, जहां कांग्रेस 1989 के बाद नहीं जीती है। ऐसी सीटों पर पार्टी नए चेहरों को मौका देने पर विचार कर रही है।
सर्वे में दिग्विजय का नाम
दो माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों का सर्वे कराया है। इसमें कई सीटों पर उसे चुनौती दिख रही है तो कई सीटों पर अच्छा परफार्म कर सकती है। ताजा रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चुनौती भोपाल सीट को लेकर है। यहां सालों से लगातार भाजपा जीतती आ रही है। कांग्रेस के सर्वे में यह बात उभरकर आई है कि इस सीट से कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं। इसके अलावा दिग्विजय सिंह यदि भोपाल से नहीं खड़े होते हैं तो वे राजगढ़ सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। मध्यप्रदेश की सभी सीटों में समितियों के गठन कर जमीनी कार्यकर्ताओं की राय जानी जा रही है, वहीं संसदीय स्तर पर पर्यवेक्षक भी भेजे जा रहे हैं।
पीसी और आरिफ भी बन सकते हैं उम्मीदवार
मध्यप्रदेश कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक भोपाल के दो विधायक पीसी शर्मा और आरिफ अकील भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के वफादार माने जाते हैं। वर्तमान में यह दोनों ही विधायक कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। माना जा रहा है कि पिछली बार लोकसभा चुनाव हारे पीसी शर्मा को दोबारा आजमाया जा सकता है। इनके अलावा भोपाल जिले में अल्पसंख्यक वोटों का भी प्रतिशत अधिक होने के कारण आरिफ अकील को भी आजमाया जा सकता है।
दिल्ली की पूर्ण मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को भी भोपाल सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। क्योंकि वे कई वर्षों तक भोपाल में ही रहते थे। लोगों में स्थानीय होने की पहचान होने के कारण उन्हें भी आजमाया जा सकता है। भोपाल के साथ ही कांग्रेस अन्य मंत्रियों को भी लोकसभा चुनाव में आजमा सकती है। कमलनाथ कैबिनेट के मंत्री जीतू पटवारी को इंदौर से चुनाव लड़ाया जा सकता है। इनके अलावा जीतू की पत्नी रेणुका को भी टिकट दी जा सकती है। इनके अलावा इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण पटेल, कांग्रेस नेता शोभा ओझा और अर्चना जायसवाल का भी मजबूत दावा है।
जबलपुर से तन्खा या अवस्थी
जाने-माने वकील एवं वर्तमान में राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को जबलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। इनके साथ ही पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी भी इस दौड़ में हो सकते हैं। हालांकि किसे टिकट मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन वर्तमान में चल रहे सर्वे और रायशुमारी में इन नामों पर विचार चल रहा है। वहीं मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठित सीटों में से एक माने जाने वाली होशंगाबाद सीट से रामेश्वर नीखरा को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। वे भी नामी वकील हैं। नीखरा के अलावा सुरेश पचौरी और सरताज सिंह का भी नाम लिया जा रहा है।
मंदसौर से मीनाक्षी, देवास से वर्मा
इसके अलावा मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन को फिर लोकसभा का टिकट दिया जा सकता है। कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री बने सज्जन सिंह वर्मा के बेटे को देवास से टिकट दिया जा सकता है।
सतना से अजय सिंह
चुरहट से हाल ही में चुनाव हारे कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को सतना सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। पिछले कुछ समय से चल रहा था कि अजय सिंह भले ही चुनाव हार गए हों लेकिन कांग्रेस सरकार बनाने में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कोई बड़ा पद दिया जा सकता है। इसलिए माना जा रहा है कि सतना सीट से अजय सिंह उपयुक्त उम्मीदवार हो सके हैं।