भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए ऊर्जा विभाग की समाधान योजना (Samadhan Yojna) की अवधि दो दिन बाद 31 जनवरी को पूरी हो जाएगी। यानि कोरोना काल के बिजली बिलों की पर सरकार द्वारा दी जा रही विशेष छूट मिलना बंद हो जाएगी। इसलिए जिस उपभोक्ता को समाधान योजना का लाभ लेना है वो इस दो दिनों को हाथ से ना जाने दे।
कोरोना काल में एक किलोवॉट तक के संयोजित भार वाले घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के देयकों की 31 अगस्त 2020 तक की मूल बकाया एवं अधिभार की रोकी गई राशि के भुगतान में उपभोक्ताओं को राहत देने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा समाधान योजना लागू की गई है। इसकी अंतिम तिथि 31 जनवरी 2022 है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा है कि उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए ही योजना को 31 जनवरी 2022 तक बढ़ाया गया है ताकि कोई भी पात्र बिजली उपभोक्ता समाधान योजना का लाभ उठाने से वंचित न रहे। ऊर्जा मंत्री ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि अंतिम बचे 2 दिनों में समाधान योजना का लाभ उठाकर कोरोना काल के बिजली बिलों की लंबित राशि में 40 प्रतिशत तक की छूट पाये।
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उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के दौरान निम्न आय वाले घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिलों के भुगतान में आ रही कठिनाइयों के मद्देनजर एक किलोवॉट तक के संयोजित भार वाले घरेलू उपभोक्ताओं के बिलों की 31 अगस्त 2020 तक की मूल बकाया राशि एवं अधिभार राशि की वसूली को रोक दिया गया था। राज्य शासन द्वारा उक्तावधि के बिजली बिलों के भुगतान में उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए समाधान योजना को लागू किया गया था। इसकी अंतिम तिथि पहले 15 दिसंबर 2021 निर्धारित थी, लेकिन योजना से वंचित उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए समाधान योजना को 31 जनवरी 2022 तक बढ़ाया गया है।
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क्या है समाधान योजना
कोरोना काल में बिजली उपभोक्ताओं की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए 31 अगस्त 2020 तक के बिजली बिलों की वसूली पर प्रदेश शासन द्वारा रोक लगा दी गई थी। इस लंबित राशि के भुगतान में भी राहत देने के लिए प्रदेश शासन द्वारा समाधान योजना लागू की गई है। योजना के तहत लंबित राशि के भुगतान के लिये 2 विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं। पहले विकल्प के चुनने में, आस्थगित मूल राशि का 60 प्रतिशत एकमुश्त भुगतान करने पर शेष 40 प्रतिशत मूल बकाया राशि माफ की जाएगी। दूसरे विकल्प में आस्थगित मूल राशि का 75 प्रतिशत, 6 समान किश्त में भुगतान करने पर शेष 25 प्रतिशत मूल बकाया राशि माफ की जाएगी। दोनों ही विकल्पों में ब्याज राशि पूरी तरह माफ करने का प्रावधान है।