MP News : विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए सीएम और उनकी सरकार के खिलाफ परिवहन विभाग में भर्ती को लेकर कई गंभीर आरोप लगाये और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा से इस्तीफा मांगा है साथ ही इन दोनों के विरुद्ध पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री से मांगा इस्तीफा
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने आज शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित पत्रकारों से बात करते हुए वर्ष -2014 में हुये व्यापमं महाघोटाले के दौरान परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई व्यापक गड़बड़ियों/ घपलों/ घोटालों और हुये बड़े भ्रष्टाचार को लेकर एक बार फिर शिवराज सरकार को घेरा, उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री और मौजूदा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा से इस्तीफे की मांग की है।
कांग्रेस ने फिर उठाया व्यापमं घोटाले का मुद्दा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 21 जून, 2014 को जब व्यापमं महाघोटाले को मेरे द्वारा सार्वजनिक किया गया था, तब सत्ता के नशे में चूर मौजूदा भ्रष्टाचारी सरकार ने मुझे राजदंड दिलवाकर दो वर्षों की सजा और अर्थदण्ड से नवाजा था। आज फिर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश के आधार पर मैं फिर कहना चाहूंगा कि परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा पूरी तरह भ्रष्टाचार में तब्दील हो गई थी और बड़े लेनदेन के बाद योग्य अभ्यर्थियों की उपेक्षा करते हुये अपात्र और अयोग्य लोगों का चयन भारी भरकम लेनदेन के बाद किया गया था। यही नहीं इस परीक्षा में आरक्षित महिला आरक्षकों के लिए स्वीकृत 100 पदों के बदले सिर्फ 40 महिला आरक्षकों की ही भर्ती की गई थी? जिसे देश की सर्वोच्च अदालत ने अब गलत माना है।
पुलिस भर्ती में 35 प्रतिशत आरक्षण पर कसा तंज
कांग्रेस प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरते हुए कहा कि वे बतायें कि वोटों की फसल काटने के लिए वे रक्षाबंधन पर बहन-बेटियों को एक ओर जहां पुलिस भर्ती में 35 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की घोषणा करते हैं, वहीं दूसरी ओर व्यापमं के माध्यम से संपन्न परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2014 में उनकी सरकार नोटों के लिए उनके लिए आरक्षित 60 प्रतिशत आरक्षण में हेराफेरी कर 40 प्रतिशत कर देती है, इसके पीछे उनकी सरकार में कौन सी ईमानदारी छिपी हुई है?
परिवहन आरक्षक भर्ती 2012 पर भी आरोप
उन्होंने अपने उस आरोप को भी पुनः दोहराया कि जब व्यापमं द्वारा आयोजित इस परीक्षा की अधिसूचना में मई-2012 के समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन में 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती का उल्लेख किया गया था, तो 332 परिवहन आरक्षकों को चयनित कैसे, किसकी अनुमति से और किस वैधानिक प्रक्रिया को अपनाने के बाद चयन किया गया। इससे संबंधित प्रामाणिक दोषी चेहरों को शिवराज सरकार ने 9 सालों के बाद भी अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया?
व्यापमं मामलों में दर्ज एफआईआर पर पूछे तीखे सवाल
श्री मिश्रा ने यह भी कहा कि अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बात पर आपत्ति जता दी है कि महिला और पुरुष अभ्यर्थियों के चयन में शारीरिक और हाईट संबंधी माप के अलग-अलग मापदंड नहीं थे, ऐसा क्यों और किन्हें लाभ पहुंचाने के लिए किया गया? प्रदेश के मुखिया को बताना चाहिए? इसी के साथ यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि जब मुख्यमंत्री ने 15 जनवरी, 2014 को विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह स्वीकार किया था कि व्यापमं द्वारा आयोजित विभिन्न 168 परीक्षाओं में कुल 1 लाख 47 हजार परीक्षार्थी बैठे हैं, जिसमें 1000 फर्जी पाये गये हैं, उनके ही कथनानुसार उन फर्जी परीक्षार्थियों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर का अब तक क्या हुआ? उन्हें यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं के महाघोटाले में 23 एफआईआर दर्ज हुईं थी, उसमें कांग्रेस के दबाव के बावजूद अंतिम एफआईआर परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा की क्यों हुई, सरकार ने सारे प्रमाणों के बावजूद इस एफआईआर को दर्ज क्यों नहीं की थी?
परिवहन विभाग की कार्यशैली निशाने पर
कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा कि क्या यह भी झूठ है कि उच्च न्यायालय जबलपुर में मप्र सरकार द्वारा जो हलफनामा दाखिल किया गया था कि उक्त परीक्षा में 313 परिवहन आरक्षकों का चयन और 17 चयनित आरक्षकों द्वारा अपनी ज्वाईनिंग रिपोर्ट परिवहन विभाग को नहीं दिये जाने की बात स्वीकार की गई थी, इन विसंगतियों की सच्चाई आज तक सामने क्यों नहीं आयी?
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा पर गंभीर आरोप, मांगा इस्तीफा
श्री मिश्रा ने कहा कि क्या यह भी झूठ है कि परिवहन आरक्षकों की भर्ती परीक्षा में तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा ने चयनित परिवहन आरक्षितों को राहत प्रदान करने हेतु उनके फिजीकल टेस्ट भी न कराये जाने बावत एक सरकारी पत्र भी जारी किया था, जो दस्तावेजों में उपलब्ध है। इस आधार पर जांच एजेंसियों ने श्री देवड़ा से पूछताछ क्यों नहीं की, जबकि नियमानुसार पुलिस भर्ती की सभी सेवाओं में ऐसे टेस्ट अनिवार्य हैं। क्या ऐसे मंत्री को मंत्रिमंडल में बने रहने का नैतिक अधिकार है?
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने मुख्यमंत्री से यह भी जानना चाहा है कि इस बात की भी चर्चा है कि उक्त परीक्षा का घोटाला उजागर होने के बाद परिवहन विभाग के अतिरिक्त परिवहन आयुक्त आरके चौधरी ने तत्संबंधित रिकार्ड कार्यालय और कम्प्यूटर से नष्ट करवाये थे, मुख्यमंत्री से उनकी रिश्तेदारी क्या है?