MP Police ने बदला शब्दकोश, अब गिरफ्तार नहीं अभिरक्षा, क़त्ल नहीं हत्या, अदालत नहीं न्यायालय, फरियादी नहीं आवेदक लिखना होगा

आमतौर पर पुलिस की शब्दावली में अब तक हस्ब जेल, दस्तयाब, हमराह, आमद, इस्तगासा, तफ्तीश, अदालत, इरादतन, गैर इरादतन, गिरफ्तार, हलफनामा, तामील, मुलजिम, मुजरिम , गवाह, बयान, खैरियत, माकूल सहित कई उर्दू, फारसी के शब्दों का उपयोग होता रहा है जो अब से नहीं होगा।   

MP Police

MP Police New Dictionary : मध्य प्रदेश पुलिस एफआईआर लिखते समय या फिर अपने विभागीय पत्र अथवा आदेश लिखते समय दशकों पुरानी शब्दावली का ही प्रयोग करती आ रही है जिसमें उर्दू, फारसी के शब्द ज्यादा हैं, चूँकि ये शब्द बोलने में कठिन हैं और ज्यादा चलन में नहीं हैं तो पुलिस विभाग ने इन्हें अपने शब्दकोश से हटाने का  फैसला किया है, मप्र पुलिस ने ऐसे 69 शब्दों को हटा दिया है औ रूनकी जगह सरल हिंदी के शब्दों का प्रयोग करने का आदेश दिया है।

PHQ में कठिन उर्दू और फारसी के शब्द हटाये, नया शब्दकोश जारी 

ये नया शब्दकोश तैयार हो गया है, मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय भोपाल कीअपराध अनुसंधान शाखा के एडीजी पवन श्रीवास्तव ने पुलिस इकाइयों को नए शब्दकोश के इस्तेमाल के निर्देश सोमवार को जारी कर दिए। अब से पुलिस एफआईआर, विभागीय पत्र, विभागीय आदेश सभी में अब इन नए शब्दों का ही उपयोग करेगी, पुराने कठिन उर्दू और फारसी के शब्दों को उपयोग से हटा दिया गया है।

ऐसे शब्दों का व्यावहारिक उपयोग हो रहा था कठिन 

आमतौर पर पुलिस की शब्दावली में अब तक हस्ब जेल, दस्तयाब, हमराह, आमद, इस्तगासा, तफ्तीश, अदालत, इरादतन, गैर इरादतन, गिरफ्तार, हलफनामा, तामील, मुलजिम, मुजरिम , गवाह, बयान, खैरियत, माकूल सहित कई उर्दू, फारसी के शब्दों का उपयोग होता रहा है जो अब से नहीं होगा।

MP Police अब हिंदी के इन शब्दों का उपयोग करेगी  

  • ताजिरात-ए-हिंद की जगह भारतीय दंड संहिता
  • जाप्ता फौजदारी की जगह दंड प्रक्रिया संहिता
  • अदालत की जगह न्यायालय
  • कैदखाना की जगह बंदी गृह
  • हाजिर/गैरहाजिर की जगह उपस्थित/अनुपस्थित
  • तफ्तीश/तहकीकात की जगह अनुसंधान/जांच
  • तहरीर की जगह लिखित/लेखीय विवरण
  • इस्तगासा की जगह दावा, परिवाद
  • इरादतन की जगह साशय
  • कब्जा की जगह आधिपत्य
  • कत्ल/कातिल/कतिलाना की जगह हत्या,वध/हत्यारा/प्राणघातक
  • गुजारिश की जगह प्रार्थना, निवेदन
  • गिरफ्तार/हिरासत की जगह अभिरक्षा
  • नकबजनी की जगह गृहभेदन, सेंधमारी
  • चश्मदीद/ गवाह की जगह प्रत्यक्षदर्शी, साक्षी
  • बयान की जगह कथन
  • फरियादी की जगह आवेदक, शिकायतकर्ता
  • हलफनामा की जगह शपथ पत्र
  • फैसला की जगह निर्णय
  • फौत की जगह मृत्यु
  • सजा/बरी की जगह दोषसिद्ध/दोषमुक्त
  • मुकीम की जगह रुकना, ठहरना
  • माकूल की जगह  उचित
  • मुल्जिम/मुजरिम की जगह आरोपी/अपराधी
  • अदम चैक की जगह असंज्ञेय, पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध की सूचना
  • जुर्म, (जरायम) दफा की जगह अपराध, धारा
  • आमद/रवाना की जगह रवानगी आगमन, प्रस्थान
  • इजाफा की जगह वृद्धि, बढ़ाना
  • कायमी की जगह पंजीयन
  • कैफीयत/मजनून/तफसील की जगह विवरण, विस्तृत विवरण
  • इत्तिला/इत्तिलान की जगह सूचना/सूचनार्थ इमरोजा : आज दिनांक
  • इमदाद की जगह मदद सहायता
  • तामील/अदम तामील की जगह सूचना/सूचित न होना
  • म्याद की जगह समय सीमा, अवधि
  • खारिज/खारिजी की जगह रद्द निरस्त/निरस्तीकरण
  • खून आलूदा की जगह रक्त रंजित, रक्त से सना हुआ
  • खैरियत की जगह कुशलता
  • गवाह/गवाहन की जगह साक्षी/साक्षीगण
  • जमानत/मुचलका की जगह प्रतिभूति/बंध पत्र
  • जप्त की जगह अभिग्रहण, अधिग्रहण
  • जरिए की जगह माध्यम
  • तहत की जगह अंतर्गत
  • जख्म/जख्मी/मजरूब की जगह चोट, घाव/घायल, आहत
  • ताकीद/हिदायत की जगह चेतावनी, समझाइश
  • तफतीश कुनिंदा की जगह विवेचक, अनुसंधानकर्ता, अन्वेषक
  • तब्दील की जगह परिवर्तित, परिवर्तन
  • थाना हाजा की जगह आरक्षी केंद्र पर उपस्थित
  • दस्तावेज की जगह प्रपत्र अभिलेख
  • दस्तयाब की जगह खोज लेना, बरामद
  • दीगर की जगह अन्य दूसरा
  • मौका-ए-वारदात की जगह घटनास्थल
  • नजीर की जगह दृष्टांत
  • परवाना की जगह परिपत्र, अधिपत्र
  • मशरुका की जगह संपत्ति मुतफर्रिक की जगह विविध
  • मर्ग की जगह अकाल मृत्यु
  • मंजूरशुदा की जगह स्वीकृत
  • शिनाख्त की जगह पहचान सहवन की जगह भूलवश, त्रुटिवश
  • सबूत की जगह साक्ष्य, प्रमाण
  • सकुनत/साकिन की जगह पता/निवास
  • संगीन की जगह गंभीर
  • हिकमत अमली की जगह विवेकानुसार
  • हमराह की जगह साथ में
  • हस्ब जेल की जगह उपरोक्तानुसार, के अनुसार
  • आला जरब/आला जरर/आला ए कत्ल की जगह  घटना, अपराध या हत्या में प्रयुक्त हथियार
  • गोशवारा की जगह नक्शा
  • दस्तंदाजी/अदम दस्तंदाजी की जगह  संज्ञेय/असंज्ञेय

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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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