भोपाल| मध्य प्रदेश में चार माह बाद एक बार फिर चुनावी चर्चाओं का बाजार गर्म है| राजीति के दंगल में एक तरफ जहां दिग्गज मैदान में हैं तो वहीं कुछ नए चेहरे भी ताल ठोक रहे हैं| कांग्रेस और भाजपा दोनों राजनीतिक दलों ने इस बार ये प्रयोग किया है। कई सीटों पर दिग्गजों के सामने नए चेहरों को उतारा गया है| इस फॉर्मूले का विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फायदा मिला, जिसके बाद अब लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने नए चेहरों पर दांव लगाया है| ये चेहरे सक्रिय राजनीति और अब तक चुनाव से दूर रहे हैं। लोकसभा चुनाव की उसकी पहली सूची से भी यह रणनीति दिखती है। कांग्रेस ने अब तक घोषित 22 में से 14 ऐसे चेहरों को टिकट दिया गया है जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, भाजपा शुरुआत में ये ट्रेंड आजमाने में पिछड़ गई। उसने बाद की दो सूचियों में नए चेहरों को ज्यादा तवज्जो दी है।
कांग्रेस से यह नए चेहरे
नकुलनाथ : छिंदवाड़ा से नकुलनाथ प्रत्याशी हैं। नकुल लोकसभा चुनाव के सबसे युवा प्रत्याशियों में से एक हैं। नकुलनाथ के पिता कमलनाथ छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद रहे हैं। अभी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
प्रहलाद टिपाणिया : देवास से कांग्रेस ने कबीर पंथ के लोक गायक प्रहलाद टिपाणिया को प्रत्याशी बनाया है। उज्जैन जिले की लुनियाखेड़ी गांव के रहने वाले टिपाणिया का राजनीति से कभी कोई वास्ता नहीं रहा। टिपाणिया के गायन के मुरीद देश नहीं विदेशों में भी हैं। 2011 में उनको पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
रामू टेकाम : अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बैतूल सीट पर कांग्रेस के युवा चेहरा रामू टेकाम प्रत्याशी हंै। साधारण से आदिवासी परिवार के रामू ने एलएलएम किया है। उनकी समाजसेवा में रुचि है।
डॉ. गोविंद मुजाल्दा : कांग्रेस ने खरगोन में डॉ. गोविंद मुजाल्दा को प्रत्याशी बनाया है। रेडियोलॉजिस्ट मुजाल्दा सरकारी डॉक्टर थे। उन्होंने वीआरएस लिया है। वे सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर लोगों की खिदमत करते रहे हैं। फेसबुक में उपलब्धि के तौर पर टाइम मैग्जीन में उनकी फोटो छपी हुई दिखाई गई है।
किरण अहिरवार : टीकमगढ़ से कांग्रेस ने नया महिला चेहरा उतारा है। किरण कांग्रेस की सामान्य कार्यकर्ता मानी जाती हैं। सर्वे में नाम और दिग्विजय सिंह के समर्थन से कांग्रेस ने उनको टिकट मिला है।
प्रभुसिंह ठाकुर : सागर प्रत्याशी प्रभुसिंह ठाकुर को जातिगत समीकरण के आधार पर टिकट दिया है। ठाकुर विधायक रह चुके हैं। इस सीट पर दांगी समाज के वोट निर्णायक माने जाते हैं।
प्रताप सिंह लोधी : दमोह से प्रताप सिंह लोधी कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। प्रताप पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वे जबेरा से विधानसभा चुनाव हारे हैं। दमोह में लोधी वोट जीत-हार तय करते हैं।
कविता सिंह : कांग्रेस ने खजुराहो में भी नए महिला चेहरे का प्रयोग किया है। कविता सिंह राजनगर के विधायक विक्रम सिंह नातीराजा की पत्नी हैं। नातीराजा का चुनाव अभियान कविता ने संचालित किया था।
सिद्धार्थ तिवारी : रीवा से कांग्रेस ने युवा चेहरे सिद्धार्थ तिवारी को चुनाव में उतारा है। वे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के प्रपौत्र और पूर्व विधायक सुंदरलाल तिवारी के पुत्र हैं। हाल ही में सुंदरलाल तिवारी का निधन हुआ है।
कमल मरावी : मंडला से नए चेहरे कमल मरावी को प्रत्याशी बनाया गया है। कमल मरावी का नाम सर्वे में जिताऊ उम्मीदवार के तौर पर आया था।
शैलेंद्र दीवान : इस सीट पर सुरेश पचौरी और रामेश्वर नीखरा दावेदारी कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने टिकट शैलेंद्र दीवान को दिया। शैलेंद्र को भी जातिगत समीकरण के आधार पर टिकट दिया गया है।
भाजपा से यह नए चेहरे
महेंद्र सोलंकी- इन्हें संघ की सिफारिश पर देवास-शाजापुर से मौका मिला है। सिविल जज की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए सोलंकी के लिए इस इलाके के कई खांटी भाजपा कार्यकर्ता और पुराने नेताओं का टिकट काटा गया है।
नत्थन शाह कवरेती- कवरेती को भाजपा से विधानसभा चुनाव का टिकट हासिल नहीं हुआ, लेकिन लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से उनकी लॉटरी लग गई। पार्टी यहां मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ के सामने ये सामान्य आदिवासी चेहरा लाई है। इससे पहले यहां से प्रहलाद पटेल, चौधरी चंद्रभान सिंह और सुंदरलाल पटवा जैसे दिग्गज नेता चुनाव लड़ चुके हैं।
विवेक शेजवलकर – संघ के करीबी शेजवलकर ने कई दिग्गज भाजपा नेताओं को पीछे छोड़कर टिकट पाया है। ग्वालियर महापौर शेजवलकर की छवि आम आदमी की है और वे कई बार स्कूटर पर घूमते हुए नजर आए हैं। यहां भाजपा ने सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव के आगे जमीनी नेता को लाने का फॉर्मूला आजमाया है।
डीडी उइके – संघ से जुड़े और अध्यापक रहे उइके ने अपने जीवन में कभी चुनाव नहीं लड़ा। सामाजिक कार्यकर्ता को टिकट देकर भाजपा ने नया प्रयोग किया है।
अनिल फिरोजिया – भाजपा ने उज्जैन सांसद चिंतामणि मालवीय का टिकट काटकर युवा नेता फिरोजिया को मौका दिया गया। वे एक बार विधायक रहे। 2018 का विधानसभा चुनाव हारे हैं।
संध्या राय- भिंड सांसद भागीरथ प्रसाद के साथ ही कई दिग्गज दावेदारों के टिकट काटकर भाजपा ने नया चेहरा संध्या राय को मैदान में उतारा है।