भोपाल। प्रदेश के कई हिस्सों में चमगादड़ों की लगातार हो रही मौत से निपाह वायरस का खतरा मंडराने लगा है। राज्य सरकार ने गुना, नरसिंहपुर और बालाघाट जिले में चमगादड़ों की मौत पर अलर्ट जारी किया है। वन विभाग ने मैदानी अफसरों को सचेत रहने के निर्देश दिए हैं। गुना में चमगादड़ों की मौत की जांच कर लौटे पशु चिकित्सकों का कहना है कि प्रथम दृष्टया मौत का कारण हीट स्ट्रोक लगता है, लेकिन तीन संस्थानों को भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही सही स्तिथि का खुलासा होगा|
दरअसल, प्रदेश के गुना में पिछले हफ्ते विजयपुर स्थित उर्वरक संयंत्र नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) में ढाई हजार से ज्यादा चमगादड़ों की मौत हुई है। ऐसे ही राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ कस्बे में सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ मरे हैं। बालाघाट से भी ऐसी ही सूचना है। गुना में चमगादड़ों से फैलने वाले निपाह वायरस को लेकर दहशत का माहौल है। इस स्थिति को देखते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने हाई अलर्ट जारी किया है। वहीं पशु चिकित्सा विभाग भी सक्रिय हो गया है और भोपाल से पांच पशु चिकित्सकों की टीम ने मौके पर पहुंचकर स्तिथि की पड़ताल की है| पशु चिकित्सक के अनुसार चमगादड़ों की मौत का कारण डिहाईड्रेशन या हीट स्ट्रोक हो सकता है। पिछले दिन प्रदेश के कई शहरों में तापमान काफी रहा है। इससे ऐसी स्थिति बन सकती है, लेकिन मौत की असल वजह तीनों संस्थानों से रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगी। मप्र चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन यू प्रकाशम का कहना है कि बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत का मामला सामने आया है। इसे देखते हुए मैदानी अफसरों को ऐसी घटनाओं पर नजर रखने को कहा है।
जांच रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट होगी स्थिति
मृत चमगादड़ों का पोस्टमार्टम कर सैंपल राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल भेजे गए हैं। लैब सोमवार या मंगलवार तक रिपोर्ट दे सकता है। वहीं चमगादड़ों की मौत जहर या किसी अन्य दवा के कारण तो नहीं हुई है, इसका पता लगाने के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली भी सैंपल भेजे गए हैं। इसके अलावा स्टेट डिसीज इन्वेस्टीगेशन लैब में भी सैंपलों की जांच की जा रही है।
ऐसे फैलता है वायरस
बता दें कि निपाह वायरस (NiV) मुख्य रूप से जानवरों में पाया जाता है, और उनके जरिए ही इंसानों में फैलता है। इस वायरस को खत्म करने के लिए फिलहाल किसी तरह का कोई टीका (वैक्सीन) या अन्य दवाई नहीं बनी है। ऐसे में इससे पीड़ित मरीजों का बेहद सुरक्षित तरीके से ध्यान रखते हुए उनका इलाज किया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह वायरस चमगादड़ के अलावा सुअर से फैलता है। इसके अलावा ये मानव से मानव में भी फैल सकता है। इस वायरस से पीड़ित चमगादड़ जब किसी फल को खा लेते हैं, और उसी फल या सब्जी को कोई इंसान या जानवर खाता है तो संक्रमित हो जाता है। – फ्रूट बैट्स (चमगादड़) इस वायरस को एक जगह से दूसरी जगह फैलाने का काम करते हैं। निपाह वायरस इंसानों के अलावा जानवरों को भी प्रभावित करता है। इसकी शुरुआत तेज सिरदर्द और फीवर से होती है। इससे संक्रमित व्यक्ति का डेथ रेट 74.5 प्रतिशत होता है।
निपाह के लक्षण
– विशेषज्ञों के मुतबिक निपाह वायरस सिर्फ जानवरों से नहीं बल्कि एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैलता है। इससे इंफेक्शन होने के बाद कुछ खास लक्षण देखे जाते हैं। वायरल फीवर होने के साथ सिरदर्द, उल्टी जैसा लगना, सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो अलर्ट होने की जरूरत है। ये लक्षण लगातार 1—2 हफ्ते दिखाई दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में जाकर चिकित्सक से मिलना चाहिए।
– निपाह वायरस का संक्रमण चमगादड़ (फ्रूट बैट) से फैलता है। जानकारों का कहना है कि निपाह वायरस के इंफेक्शन से बचने के लिए सुअर, घोड़े, पेड़ से गिरे फल और ताड़ी का सेवन नहीं करना चाहिए। फल और सब्जी खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि वो कहीं से कटा या खुरचा हुआ न हो।