भोपाल। निर्माण कार्यों में लापरवाही एवं भ्रष्टाचार की जांच के लिए गठित मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई) सतर्कता को अब सरकार ताकतवर बनाने जा रही है। अब यह एजेंसी गंभीर प्रकरणों में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की तरह एफआईआर भी करा सकेंगे। जांच में तेजी लाने के लिए सीटीई में रिक्त पदों की जल्द ही पूर्ति की जाएगी। इस संबंध में सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने विभागीय समीक्षा बैठक में निर्देश जारी किए हैं।
डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि संगठन को और अधिक प्रभावशाली बनाना जरूरी है। जन-प्रतिनिधि एवं सामान्य-जन को संगठन की कार्य-प्रणाली से अवगत होना चाहिये। संगठन को प्रभावी कार्यवाही एवं गम्भीर प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज कराने का अधिकार दिया जाए। मुख्य तकनीकी परीक्षक के समक्ष लम्बित प्रकरणों में अंतिम देयक एवं सुरक्षा निधि का निराकरण न किया जाए। मंत्री डॉ. सिंह ने लम्बित आर.आर.सी प्रकरणों की जानकारी मुख्य सचिव की साधिकार समिति के समक्ष रखने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विभागों के प्रमुख सचिव एवं प्रमुख अभियंता द्वारा ली जाने वाली बैठकों एवं परख कार्यक्रम में मुख्य तकनीकी परीक्षक के प्रकरणों के निराकरण की कार्यवाही भी की जाए।
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सीटीई में मिलेगा ज्यादा वेतन
सीटीई में इंजीनियर लोनिवि, पीएचई, जल संसाधन एवं अन्य विभागों से प्रतिनियुक्ति पर आते हैं। प्रतिनियुक्ति की शर्तों को सरल किया जाएगा आौर विशेष वेतन दिया जाएगा। साथ ही अधीक्षण यंत्री की अनुभव अवधि कम करने एवं प्रतिनियुक्ति के प्रस्तावों पर शीघ्र निर्णय लिया जाए।
घटिया निर्माण की आती है शिकायत
जिस तरह से लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार की शिकायतें आती है्र, उसी तरह सीटीई के पास घटिया निर्माण कार्य की शिकायतें आती है। जिसमें मप्र सरकार के सभी निर्माण विभाग शामिल हैं। सीटीई की टीम प्रदेश भर में दौरा कर सड़क, भवन समेत अन्य निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का परीक्षण करती है। हालांकि एजेंसी को सीधे तौर पर शिकायत की जांच का अधिकार नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से प्रस्तावित शिकायत की ही जांच की जाती है।
जांच रिपोर्ट पर नहीं होती कार्रवाई
आमतौर पर निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार होता है। सड़क निर्माण, बांध, पुल, पुलिया एवं भवन निर्माण में घटिया निर्माण की शिकायतें आती हैं। सीटीई उन्हीं शिकायतों की जांच करता है, जो जीएडी से भेजी जाती है। जांच रिपोर्ट पर भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं होती है। बुंदेलखंड पैकेज में हुए घोटाले की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर की गई थी। खास बात यह है कि सीटीई ने जांच रिपोर्ट सरकार को दो साल पहले भेज दी थी। जिसमें 9 विभागों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचारा सामने आया था। रिपोर्ट पर सरकार ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। जांच रिपोर्ट भी उजागर नहीं हुई।