भोपाल।
कांग्रेस विधायक नर्मदा प्रसाद प्रजापति मध्यप्रदेश की 15 वीं विधानसभा के 17वें अध्यक्ष बनाए गए है। सदन में प्रजापति को 120 वोट मिले है। वहीं, भाजपा के वॉकआउट के कारण विपक्ष में कोई वोट नहीं पड़ा। वही भाजपा ने सदन में जमकर नारेबाजी करते हुए सदन से राजभवन तक पैदल मार्च निकाला । राजभवन पहुंचकर भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर फिर से चुनाव कराने की मांग की। इससे पहले प्रोटेम स्पीकर ने बिना वोटिंग के ही प्रजापति को स्पीकर बनाने की घोषणा कर दी थी। प्रजापति के चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ और मंत्री गोविंदसिंह ने उन्हें अध्यक्ष की आसंदी पर बैठाया।
प्रजापति के अध्यक्ष बनने पर नरसिंहपुर और शहडोल में खुशी की लहर है। समर्थकों ने ढोल नगाडों बजाकर और पटाखे चलाकर अपनी खुशी का इजहार किया। जबलपुर में भी कांग्रेस ने मिठाइयां बांटकर खुशी जाहिर की। प्रजापति अनुभवी नेता हैं। मूलत: शहडोल जिले के रहने वाले है। प्रजापति ने सबसे पहले वर्ष 1985 से राजनीति आरंभ की थी। तब से आज तक वे लगातार राजनीति में सक्रिय रहे है।वे संसदीय मामलों के अच्छे जानकार माने जाते है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिलना तय है। अगले दो महिने बाद लोकसभा चुनाव है, ऐसे में प्रजापति के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद महाकौशल का राजनीति में भी दबदबा बढ़ गया है। विधानसभा चुनाव की तरह महाकौशल मे ंभी कांग्रेस को इसका लाभ मिलना तय माना जा रहा है। उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी।
अब तक ऐसा रहा है राजनैतिक सफर
प्रजापति गोटेगांव से चार बार कांग्रेस के विधायक का चुनाव जीत चुके है। वे दिग्विजय सरकार में ऊर्जा विभाग के केबिनेट मंत्री भी रह चुके है। प्रजापति इसके पहले वर्ष 1984, 1993 एवं 2008 से गोटेगांव से निर्वाचित हो चुके हैं। साथ ही वे 1993 से 1997 तक कांग्रेस शासन काल में दिग्विजय सिंह सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। इसके अलावा 2008 से लेकर 2013 तक कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक रहे एवं विधानसभा की विभिन्न समिति में शामिल रहे इसके अतिरिक्त उन्होने कांग्रेस संगठन में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया है।