भोपाल।
पंचायत चुनाव ठीक पहले पंचायत संगठनों ने नाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संगठनो का आरोप है कि सरकार ने उनसे वादाखिलाफी की है। भाजपा सरकार ने अधिनियम में संशोधन कर जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में जो कटौती की थी, उसे अभी तक वापस नहीं लिया गया है। वहीं, जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों की विवेकाधीन राशि भी रोक ली है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के काम ठप पड़ गए हैं। इसको लेकर पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी है। प्रदेश में ग्राम पंचायत, जनपद और जिला पंचायतों के चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। उधर, सरकार ने जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों को मिलने वाली सालाना विवेकाधीन राशि जारी करने पर रोक लगा दी है। जबकि, पिछली बार जब पंचायत प्रतिनिधि भोपाल में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल के निवास पर जुटे थे, तब यह सहमति बनी थी कि राशि जारी कर दी जाएगी, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह के साथ हुई बैठक में अधिकारों के विकेंद्रीकरण को लेकर भी सहमति बन गई थी। इसके भी आदेश विभाग ने नहीं निकाले हैं। इन सभी मुद्दों को लेकर चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी है।
पंचायत संगठनों ने खोला कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा
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