भोपाल।
मंत्री पद ना मिलने से कांग्रेस विधायकों ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।जिसके चलते कमलनाथ सरकार और हाईकमान सकते में आ गई है। नेताओं की बगावत के चलते कांग्रेस को सरकार गिरने का डर सता रहा है। ऐसे मे बड़े नेताओं ने नाराज नेताओं को मनाने की कवायद शुरु कर दी है। नाराज नेताओं को हर स्तर पर साधने की कोशिश की जा रही है। खबर है कि इस्तीफे के धमकी देकर पार्टी पर वंशवाद-जातिवाद का आरोप लगाने वाले कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह को दिल्ली बुलाया गया है, जहां उनकी राहुल गांधी से मुलाकात हुई।
दरअसल, मंत्री पद ना मिलने से नाराज विधायकों ने एक बाद एक विरोधी स्वर अपनाना शुरु कर दिए थे, जिसके चलते पार्टी में हड़कंप मच गया था।वही राजवर्धन ने इस्तीफे तक की बात कह दी थी, जिसके बाद हाईकमान ने उन्हें दिल्ली तलब किया। कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह आज पार्टी हाइकमान से मिलने दिल्ली पहुंचे। यहां विधायक राज्यवर्धन सिंह समेत दस अन्य विधायकों ने राहुल गांधी से मुलाकात की।इस दौरान राहुल समेत कई बड़े नेताओं ने उन्हें समझाइश दी।हालांकि वह माने या नही यह अभी तक स्पष्ठ नही हो पाया है। बताते चले कि। ज्ञात हो धार से चुनाव जीते राजवर्धन को सिंधिया खेमे का भी माना जाता है। कुछ और नाराज नेताओं को साधने की कोशिश हाइकमान के स्तर पर शुरू की गई है।वही अन्य नेताओं केपी सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, हीरालाल अलावा को भी समझाइश देने की कोशिश की जा रही है।
राज्यवर्धन ने पार्टी पर लगाया था वंशवाद का आरोप
मंत्री ना बनाए जाने पर बदनावर सीट से कांग्रेस विधायक राजवर्धनसिंह दत्तीगांव ने पार्टी पर वंशवाद और जातिवाद का आरोप लगाया है। सिंह का कहना है कि कांग्रेस में आज भी वंशवाद व गुटीय राजनीति हावी है। वंशवाद की राजनीति ने उनका हक छीन लिया है। मेरे साथ अन्याय हुआ और मैं इसका जवाब इस्तीफा देकर दूंगा। मैं भी अगर किसी पूर्व मुख्यमंत्री या बड़े नेता का बेटा या रिश्तेदार होता तो आज मैं भी मंत्री बन जाता।उन्होंने कहा कि ऐसे ही लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि सत्ता में रहने की रही है।क्या मेरा यह कसूर रहा कि मतगणना के बाद निर्वाचन का प्रमाण पत्र लेते ही में इस अल्पमत की सरकार के लिए दो निर्दलीय विधायकों को लेकर आया। ये बिंदू हो सकते हैं, जिनके कारण मुझे अयोग्य समझा गया।
राज्यवर्धन के बयान के बाद से ही पार्टी में बवाल मचा हुआ है।नेता लगातार मुखर हो रहे है, ऐसे में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है, अगर विधायक अपना हाथ खींचते है तो सरकार गिरने के भी आसार बनते हुए दिखाई दे रहे है। इससे कार्यकर्ताओं में भी भारी रोष है जिसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।