DA ना बढ़ाने से नाराज पेंशनर्स ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, चुनाव से पहले दी ये बड़ी चेतावनी

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भोपाल।

 छत्तीसगढ़ के बाद मध्यप्रदेश मे भी पेंशनर्स ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पेंशनर्स मंहगाई भत्ता का बढाए जाने से नाराज है। बीते दिनों ही उन्होंने जबलपुर में प्रदर्शन किया था और अब भोपाल में बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है।इसके लिए पेंशनर्स एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि जो पेंशनर्स के साथ नहीं, वे भी उनके साथ नहीं हैं। माना जा रहा है लोकसभा चुनाव से पहले पेंशनर्स की ये नाराजगी सरकार को भारी ना पड़ जाए।प्रदेश के करीब  4.64 लाख पेंशनर्स को इसका लाभ मिलना है।

दरअसल, दो दिन पहले ही कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों का दो प्रतिशत डीए बढाकर नौ फीसदी करने के आदेश जारी किए थे, जबकि पेंशनर्स को अभी तक पांच प्रतिशत ही डीए मिल रहा है।जिसके कारण पेंशनर्स में सरकार के प्रति आक्रोश व्याप्त हो गया है। जबलपुर में पेंशनर्स प्रदर्शन कर चुके हैं और भोपाल में इसकी तैयारी चल रही है। पेंशनर्स एसोसिएशन ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि बीते साल शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री निवास में हुई पेंशनर्स पंचायत में ऐलान किया था। इसके बाद भी वित्त विभाग ने खजाने की हालात का हवाला देते हुए इसे क्रियान्वित नहीं किया।पेंशनर्स ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ इस उम्मीद के साथ दिया था कि उनके साथ न्याय होगा। वचन पत्र में भी पार्टी ने इसका जिक्र किया है। अब कांग्रेस सरकार बनने के बाद पेंशनर्स को उम्मीद थी कि लंबित डीए के साथ सातवें वेतनमान के एरियर को लेकर भी सरकार फैसला करेगी लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ। जल्द इस पर फैसला ना लेने पर पेंशनर्स ने सरकार को  चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि जो पेंशनर्स के साथ नहीं, वे भी उनके साथ नहीं हैं। 

वही वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार डीए बढ़ाने पर सहमति नहीं दे रही है। पहले भी इसी कारण डीए नहीं बढ़ पाया था। उधर, छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले दिनों पेंशनर्स एसोसिएशन से खजाने की स्थिति का हवाला देते हुए डीए नहीं बढ़ाने की बात कही है।इसके चलते छग में भी पेंशनर्स ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है।ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले पेंंशनर्स की ये नाराजगी सरकार को भारी पडने वाली है। अगर सरकार ने इस पर जल्द कोई निर्णय नही लिया तो आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका हर्जाना भुगतना पड़ सकता है।


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