भोपाल। राजधानी की सबसे विवादित रोहित हाउसिंग सोसायटी का कर्ताधर्ता घनश्याम सिंह राजपूत फरार है। इस फरार माफिया की गिरफ्तारी के लिए भोपाल डीआईजी ने बीस हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। आरोपी के खिलाफ सबसे पहले गृह निर्माण सोसायटी के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने के मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद प्रशासन ने माफिया घनश्याम राजपूत के अवैध कब्जे को गिराने की कार्रवाई की। उसके अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया। साथ ही अवैध रूप से गृह निर्माण सोसायटी के मामले में कोलार थाने और चुनाभट्टी थाने में भी एफआईआर दर्ज की गई। भोपाल पुलिस माफिया घनश्याम राजपूत की लगातार तलाश कर रही है, लेकिन आरोपी का कहीं कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस की कार्रवाई से डरकर आरोपी फरार हो गया है।
रोहित सोसायटी में दर्ज हुई थी पहली एफआईआर
राजधानी की सबसे विवादित रोहित हाउसिंग सोसायटी के मास्टरमाइंड घनश्याम सिंह राजपूत के साथ संचालक मंडल में रहे 24 पदाधिकारियों पर ईओडब्ल्यू ने सबसे पहली एफआईआर दर्ज की थी। राजपूत के खिलाफ फर्जीवाड़े की पहली शिकायत ईओडब्ल्यू में 2009 में हुई थी, लेकिन उसके रसूख की वजह से कार्रवाई नहीं हो सकी। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने विधानसभा में यह आरोप लगाया था कि रोहित सोसायटी में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के करीबियों को भी नियम विरूद्ध ढंग से प्लॉट आवंटित हुए हैं। राजपूत ने खुद और पत्नी संध्या सिंह के नाम से सोसायटी में 2003 में दो प्लॉट लिए। इसके बाद 2005 में वह षड्यंत्रपूर्वक खुद सोसायटी के संचालक मंडल में शामिल हो गया। बताया जा रहा है कि संस्था के अकाउंट से 22.70 करोड़ की हेराफेरी के प्रमाण मिले हैं। सोसायटी के रिकार्ड को जानबूझकर गायब किए जाने की बात भी सामने आई है।
सीबीआई की कार्रवाई में सस्पेंड हुआ था राजपूत
माफिया घनश्याम राजपूत रेलवे में क्लर्क था। 28 फरवरी 2007 को सीबीआई ने राजपूत के घर से रोहित सोसायटी की 137 बेनामी संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए थे। इसके बाद उसे रेलवे से सस्पेंड किया गया। वह प्रदेश में क्षत्रिय महासभा का अध्यक्ष बना। नेताओं के संपर्कों के सहारे वह जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा है। अभी वह भाजपा में प्रधानमंत्री जनकल्याण योजना प्रकोष्ठ का प्रदेश सह संयोजक है। 350 लोगों को प्लॉट का झांसा देकर 16 करोड़ वसूले, दिया किसी को नहीं। फरवरी 2012 में राजपूत ने जिला प्रशासन के अधिकारियों की मध्यस्थता में 350 पात्र सदस्यों को प्लॉट देने का भरोसा देकर प्रति सदस्य 4.50 लाख रुपए लिए। यह राशि 16 करोड़ रुपए से ज्यादा थी। आरोप है कि राजपूत ने संस्था के अकाउंट से यह राशि निकाल ली और फिर प्लॉट देने से इनकार कर दिया।