संघ की पसंद से तय होंगे उम्मीदवार, इन सीटों पर की सिफारिश

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भोपाल। विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जीत के करीब आते आते पीछे रह गई। महज पांच सीटों के फासले से कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के दौरान संघ की सलाह और सर्वे दोनों को दरकिनार कर टिकट बांटे थे। जिसका नतीजा काफी निराशाजनक रहा। लेकिन अब लोकसभा चुनाव में जब कोई मोदी लहर नहीं है पार्टी संघ की सलाह पर ही टिकट वितरण कर रही है। अब तक बीजेपी ने 21 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इनमें से दस उम्मीदवार संघ की पसंद के हैं। शेष में भी संघ की सलाह पर ही टिकट दिया जाना तय माना जा रहा है। भोपाल सीट से भी अंदरखाने की खबर है कि संघ ने उमा भारती को दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने पर मना लिया है। 

संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि, आरएसएस ने उन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया है जहां भाजपा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से हार गई थी। संघ द्वारा 9 और 10 अप्रैल को बुलाई गई बैठकों में निर्णय लिया गया कि आरएसएस भोपाल, विदिशा, होशंगाबाद, राजगढ़, बैतूल और इंदौर जैसे क्षेत्रों में भी गहन अभियान की योजना बनाएगा। अभी तक बांटे गए टिकट में संघ की पसंद के 50 फीसदी उम्मीदवार उतारे गए हैं। हाल ही में ग्वालियर सीट पर भी संघ के खास शेजवलकर को टिकट दिया गया है। अब भोपाल और इंदौर सीट के लिए भी संघ ही नाम आगे कर रहा है। 

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संघ ने बढ़ाए ये नाम

अब तक, संघ परिवार ने भिंड के लिए संध्या राय, ग्वालियर में विवेक शेजवलकर, शहडोल से हिमाद्री सिंह के नामों की सिफारिश की है। बालाघाट में, पिछले 15 वर्षों से राजनीति से दूर रहे ढाल सिंह बिसेन को टिकट पाने में आरएसएस का समर्थन मिला। छिंदवाड़ा में, आदिवासी नेता और पूर्व विधायक नत्तन शाह का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सिफारिश पर तय किया गया था। बैतूल से दुर्गादास को पार्टी ने उतारा है। वह एक समर्पित आरएसएस और गायत्री परिवार के सदस्य हैं। देवास में आरएसएस के कैडर  महेंद्र सोलंकी हैं, जबकि उज्जैन में, अनिल फिरोजिया को संघ परिवार का समर्थन प्राप्त था। मंदसौर में, आरएसएस के सहयोगी सुधीर गुप्ता को पार्टी के भीतर विरोध के बावजूद टिकट दिया गया, जबकि खरगोन में युवा भाजपा नेता और आरएसएस के विश्वासपात्र गजेंद्र पटेल को अन्य दावेदारों के खिलाफ नामित किया गया था। 

सूत्रों ने कहा कि आरएसएस ने बीजेपी से विधानसभा चुनावों में 40% से अधिक नामों को छोड़ने के लिए कहा था, और इसी तरह की रणनीति आरएसएस की फीडबैक रिपोर्टों के आधार पर लोकसभा चुनावों के दौरान भी इस्तेमाल की जा रही है। बीजेपी के सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि यह आरएसएस के हस्तक्षेप के कारण है कि राज्य में लोकसभा टिकटों की घोषणा में देरी हो रही है। आरएसएस के उप प्रमुख भैयाजी जोशी हर एक नाम पर भाजपा नेतृत्व के साथ चर्चा करने में व्यस्त हैं। संघ परिवार ने अपने मध्यभारत प्रभारी अरुण कुमार और क्षेत्रीय प्रभारी दीपक ब्रहस्पति को आरएसएस के सर्वेक्षण के बाद तैयार किए गए जीताऊ उम्मीदवार मानदंड के आधार पर नामों की सिफारिश करने के लिए भी कहा है।


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