उमा भारती के ट्वीट पर सज्ज्न सिंह वर्मा का तंज, कहा- उन्हें करा लेना चाहिए मुंडन

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट

मध्यप्रदेश में आए दिन सियासी उठापटक का दौर चलता रहता है। आए दिन राजनैतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यरोप लगाती रहती है। बीजेपी की फायर ब्रांड नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने सोनिया गांधी पर ट्वीट किया है। उमा भारती ने अपने ट्वीट में लिखा कि .मैं उनका बहुत आदर करती हूं, वह एक अच्छी बहु, अच्छी पत्नी एवं अच्छी मां रही हैं। मैंने अपने लिए भी उनमें ममत्व का भाव देखा है मगर इन कारणों से वह भारत की नेता तो नहीं बन सकतीं हैं।

 

उमा भारती के इस ट्वीट के बाद कांग्रेस के पूर्व मंत्री संज्जन सिंह वर्मा ने उमा भारती पर तंज कसते हुए कहा कि उमा भारती पलायन करने वाली नेता हैं, उन्होंने गंगा की सफाई को लेकर वचन दिया था, अपना वचन पूरा नहीं कर पाई उन्हें मुंडन करा लेना चाहिए।

वहीं कांग्रेस के पोल खोल अभियान की अनुमति निरस्त होने पर पूर्व मंत्री ने कहा कि हम लोग ग्वालियर जा रहे हैं, जिसमें दम हो रोक कर दिखाए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के संघ मुख्यालय जाने पर सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि बेहतर होता वो पहले रानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर जाते, सिंधिया जी अब श्रीमंत नहीं रहे हैं, अभी तो वो अमित शाह के यहां चक्कर लगाएंगे,  मोदी के यहां चक्कर लगाएंगे। वहीं ग्वालियर में बीजेपी के सदस्यता अभियान पर सज्जन सिंह वर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि सिंधिया को झूठ बोलने की ट्रेनिंग देने के बाद ही बीजेपी में शामिल किया गया है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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