मिट्टी बचाओ अभियान : ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ का मंत्र तब साकार होगा जब धरती बचेगी – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह

Amit Sengar
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cm shivraj singh

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (chief minister shivraj singh) ने कहा भारत ने आज नहीं बल्कि हजारों साल पहले कहा। धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो। हम विश्व कल्याण की बात करते हैं। विश्व के कल्याण के लिए सद्गुरु निकल पड़े हैं। जिन्होंने भारत ही नहीं यूरोप, मध्य एशिया, उत्तर पूर्व सहित विभिन्न देशों से गुजरते हुए दुनिया को मिट्टी बचाने (save the soil campaign) का संदेश दिया है।

आगे उन्होंने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिनः का मंत्र तब साकार होगा, जब धरती बचेगी। हम आभारी हैं श्री सद्गुरु के कि उन्होंने यह अभियान चलाया। सब जानते हैं मनुष्य ने धरती मां के साथ अन्याय किया है। हमने धरती खोदकर खनिज निकाल लिए, पानी निकाल रहे हैं, जंगल साफ कर रहे हैं, साथ ही मिट्टी बचाओ अभियान में पूरा मध्यप्रदेश आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। आपने जो प्रस्ताव दिया है उसका हम पूरी तरह से पालन करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण बचाने हम पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं। मुझे लगा केवल भाषण देने से काम नहीं चलेगा। अगर हम खुद करेंगे तो लोगों को प्रेरित कर पाएंगे। मैं पहले एक पेड़ लगाता था अब किसी ना किसी संस्था के लोग साथ में पौधरोपण करते हैं। हरियाली अमावस्या के दिन हम फिर एक महीने वृक्षारोपण का अभियान चलाएंगे और मध्यप्रदेश को हरा-भरा बनाकर ही चैन की सांस लेंगे।

सद्गुरू ने कहा आज मिट्टी बचाओ अभियान का 79वां दिन है। दुनियाभर में 25 हजार किमी की यात्रा में 74 देशों ने इसका समर्थन किया है। ये 533वां कार्यक्रम है। 2.5 मिलियन लोग मिट्टी बचाओ अभियान से जुड़ गए हैं। हमें आज मिट्टी को बचाने के लिए प्रयास करना होगा। आने वाली पीढ़ी को हम क्या देंगे, यह हम पर निर्भर करता है। यह हम सभी की जिम्मेदारी भी है।

आगे उन्होंने कहा कि आप किसी भी धर्म के हों, किसी भी देश के हों, लेकिन हम सब में एक चीज का संबंध एक समान है, वह है मिट्टी। हम मिट्टी से आये हैं, हम मिट्टी में पलते-बढ़ते हैं और जब हमारी मृत्यु होती है तो हम इसी मिट्टी में मिल जाते हैं। आज भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में खेती के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल शुरू होने के बाद लोगों को लग रहा है कि पैसा कमाने के लिए ये जादू है। लेकिन उससे जमीन की उर्वरकता खत्म हो रही है। पेड़-पौधे,पशु धरती से खत्म होते जा रहे हैं। उनकी जगह मशीनें आ गई हैं।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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