ग्वालियर।अतुल सक्सेना।
सिंधिया परिवार के कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने जिला न्यायालय में एक दावा पेश किया है। इस दावे में कहा गया है कि ट्रस्ट की जमीन पर सरकार ने कब्जा कर रेलवे ओवर ब्रिज बना लिया है इसलिए इसकी एवज में 7 करोड़ 55 हजार रुपए मुआवजा दिया जाए। साथ ही इस पर 12 प्रतिशत ब्याज भी दिया जाए। इस ट्रस्ट में ज्योतिरादित्य सिंधिया ट्रस्टी हैं। खास बात ये है कि जिस पुल की जमीन पर मुआवजा मांगा गया है उसका उद्घाटन ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्वर्गीय माधव राव सिंधिया ने किया था।
ट्रस्ट की ओर से विजय सिंह फालके द्वारा पेश किए दावे में कहा गया है कि महलगांव हलका क्रमांक 1071,1072,1073 की जमीन पर सरकार ने रेलवे ओवर ब्रिज बनवा दिया। जब ये दावा पेश किया गया तब 16 सितंबर 1995 को अनुविभागीय अधिकारी ने आपत्ति का जवाब देते हुए कहा कि ट्रस्ट की भूमि पर ना कोई कब्जा है ना कोई अतिक्रमण। दावे में कहा गया कि PWD ने जो सड़क बनाई है उसमें निजी भूमि चली गई इसलिए इस जमीन का अधिगृहण प्रस्ताव दिया जाए जिससे जमीन का मुआवजा मिल सके। ट्रस्ट की ओर से 4 जून 2018 को दावा पेश किया और सरकार से पुल की जमीन के बदले 7 करोड़ 55 हजार रुपए का मुआवजा मांगा है। दावे में सरकार के राजस्व विभाग, कलेक्टर ग्वालियर, तहसीलदार ग्वालियर को नोटिस जारी किया गया है।
ये कहते हैं शासकीय दस्तावेज
गौरतलब है कि महलगांव के हलका नंबर 1071,1072,1073 खसरों में शासकीय भूमि दर्ज है। लैंड रिकॉर्ड कि साइट पर भी तीनों नंबर का स्टेटस शासकीय है और खसरे में PWD के आम रास्ता लिखा है। मिसिल बंदोबस्त में दर्ज स्थिति ही जमीन का मालिकाना हक तय करती है उसमें संवत 1997 हलका क्रमांक 1071 में 10 बिस्वा जमीन, 1072 में एक बीघा 4 बिस्वा जमीन और, 1073 में 4 बिस्वा जमीन रेल पटरी, सड़क, बंजर भूमि के नाम से दर्ज है।
राजमाता सिंधिया ने किया था ट्रस्ट का गठन
काला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट के गठन 31 दिसंबर 1971 को स्वर्गीय राजमाता विजया राजे सिंधिया ने किया था । वर्तमान में इसकी चेयरपर्सन स्वर्गीय माधव राव सिंधिया की पत्नी एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया की माँ माधवी राजे सिंधिया हैं। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे इसे ट्रस्टी हैं।
स्व माधव राव ने किया था पुल का उद्घाटन
जिस रेलवे ओवर ब्रिज की जमीन की एवज में सिंधिया ने सरकार से, 7करोड़ 55 हजार रुपए का मुआवजा मांगा है उसका उद्घाटन उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधव राव सिंधिया ने किया था। प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद 1987 में इस पुल का निर्माण शुरू हुआ और 1991 में स्वर्गीय माधव राव सिंधिया ने इसका उद्घाटन किया।