भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) की अध्यक्षता में मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग (Video conferencing) के माध्यम से कैबिनेट बैठक (Shivraj Cabinet) संपन्न हुई। बैठक में एक दर्जन से ज्यादा प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। मंत्रि-परिषद ने नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमि के धारकों का धारणाधिकार प्रदान करने संबंधी प्रस्ताव को अनुमोदन प्रदान किया। बैठक में सरकार ने शहरी क्षेत्रों की बेशकीमती सरकारी जमीन पर 31 दिसंबर 2014 तक काबिज लोगों को सरकार मालिकाना हक देते हुए तीस साल का पट्टा देने का फैसला लिया। वहीं, पट्टों के नवीनीकरण के लिए भी नए नियम लागू होंगे। इसके तहत अब लीज नवीनीकरण के लिए छह गुना नहीं बल्कि दोगुना भू-राजस्व देना होगा। उपचुनाव से ठीक पहले इसे शिवराज सरकार का चुनावी दांव माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के अनुसार नगरीय क्षेत्रों में स्थित ऐसे सभी शासकीय भूमिधारकों (भू-खण्डों के अधिभोगियों) को, जो 31 दिसम्बर 2014 या उसके पूर्व से भू-खण्ड के निर्बाध आधिपत्य में हैं, उन्हें उस भू-खण्ड का स्थाई पट्टा प्रदान किया जाएगा। उन्हें चिन्हांकित कर निर्धारित प्रब्याजी एवं भू-भाटक लेकर 30 वर्ष का स्थाई पट्टा दिया जाएगा। इसके लिए उन्हें ऑनलाइन आवेदन करना होगा। कलेक्टर द्वारा निर्धारित प्रक्रिया अनुसार जाँच पूरी कर पट्टे दिए जाने की कार्रवाई की जाएगी। भू-खण्ड पर मालिकाना हक मिल जाने से वे भू-खण्डों के बेहतर उपयोग के लिए बैंक से ऋण प्राप्त कर सकेंगे तथा भू-खण्डों का अंतरण भी कर सकेंगे। यह व्यवस्था ऐसे व्यक्तियों के लिए वरदान साबित होगी। वहीं इससे राज्य शासन को प्रब्याजी एवं भू-भाटक के रूप में राजस्व आय भी प्राप्त होगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नजूल भूमि के संबंध में 50 वर्षों बाद राज्य मंत्री परिषद ने अभूतपूर्व फैसला किया है, जिसके चलते अब आवासीय नजूल भूमि के स्थाई पट्टाधारियों को भूमिस्वामी हक मिल सकेगा साथ ही अस्थाई पट्टाधारियों को भूमि का स्थाई पट्टा मिल सकेगा। वे भूमि का अंतरण करा सकेंगे तथा इस पर बैंक से ऋण भी ले सकेंगे। वे भूमि के मालिक बन जाएंगे। इस संबंध में राजस्व विभाग काफी समय से निरंतर कार्य कर रहा था। उन्होंने इस ऐतिहासिक एवं जनकल्याणकारी फैसले के लिए राजस्व विभाग सहित संबंधित सभी को बधाई दी। ‘मध्यप्रदेश नजूल निवर्तन निर्देश-2020’ के प्रक्रियात्मक प्रावधानों के संबंध में निर्णय के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित की जा रही समिति अधिकृत होगी, जिससे निर्देशों के पालन में प्रक्रियात्मक देरी नहीं होगी।
सीएम ने बताया कि नजूल भूमि की नई परिभाषा के अनुसार अब समस्त नजूल भूमियां शासकीय भूमि होंगी तथा जिनको भी पूर्व में ये भूमियां आवंटित की गई हैं, उन्हें सरकार भूमि स्वामी का हक दे सकेगी। नजूल भूमि की स्पष्ट परिभाषा हो जाने से अब भू-माफियाओं के विरूद्ध कानूनी व अन्य कार्रवाई आसान होगी। वर्तमान में राजस्व पुस्तक परिपत्र में नजूल भूमि के संबंध में विभिन्न प्रावधान विभिन्न स्थानों पर संकलित किए गए हैं, जिनकी संख्या सैकड़ों में हो गई है। सभी प्रावधानों को समेकित कर तथा कुछ नए प्रावधानों को जोड़े जाकर एकजाई एवं अद्यतन संकलन ‘मध्यप्रदेश नजूल भूमि निर्वतन निर्देश 2020’ के रूप में जारी किया गया है।प्रावधानों के अनुसार चैरेटेबिल संस्थाओं को रिआयती दर पर भूमि दी जा सकेगी। गोशालाओं को 10 एकड़ तक भूमि 01 रूपए वार्षिक लाइसेंस शुल्क पर दी जा सकेगी। कृषि प्रयोजन के लिए भी भूमि के स्थाई अधिकार दिए जा सकेंगे।
इन प्रस्तावों को दी गई मंजूरी
- धारणाधिकार के अतंर्गत नगरीय क्षेत्र में स्थित शासकीय भूखण्डों के ऐसे अधिभोगियों को जो उनके अधिभोग में 31 दिसम्बर 2014 या उसके पूर्व निर्विवाद रूप से आधिपत्य में रह रहें है और वर्तमान में भी आधिपत्य में चले आ रहे हैं उन्हें चिन्हाकिंत कर यथोचित प्रब्याजी और भू-भाटक लेकर 30 वर्षीय स्थाई पटटे जारी किये जाने का निर्णय लिया गया।इसके लिये ऑनलाईन आवेदन प्रस्तुत करना होगा। जिसके अनुक्रम में जिला कलेक्टर द्वारा जाँच उपरांत पात्र लोगों को पट्टे दिये जा सकेगे।
- राज्य शासन के उपयोग की भूमि, नदी, नालों, धार्मिक संस्था पार्क, खेल मैदान, सड़क, गली या अन्य सामुदायिक उपयोग की भूमियों के मामले में पटटे नहीं दिये जाएंगे।इस प्रक्रिया में ऐसे विशेष प्रकरणों जिनमें अधिभोग की भूमि कभी शासकीय तथा कभी निजी भूमि स्वामी हक मे दर्ज रही हैं। ऐसे मामलें में जिला कलेक्टर से प्रस्ताव प्राप्त होने पर राज्य शासन की स्वीकृति के बाद पटटे दिये जा सकेंगे।
- इससे अधिभोगियों को अपने अधिभोग के भू-खंड के पटटे प्राप्त हो सकेंगे, जिससे वे भू-खंडो का बेहतर उपयोग करने के लिये बैंक से ऋण प्राप्त कर सकेंगे और भू-खंडों को अतंरण भी कर सकेंगे। ऐसे व्यवस्थापन से राज्य शासन को प्रब्याजी तथा भू-भाटक के रूप में राजस्व प्राप्त होगा।
- मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश नजूल भूमि निवर्तन निर्देश 2020 को अनुमोदन प्रदान किया। इन निर्देशों के जारी होने से भूमि प्रबंधन तथा निवर्तन की प्रक्रिया स्पष्ट तथा व्यवस्थित होगी। इससे भूमि का मैदानी स्तर पर अभिलेख संधारण आसान होगा।शासकीय भूमि के निवर्तन की प्रक्रियां में तेजी आने से राज्य की आय में वृद्वि होगी।
- राजस्व पुस्तक परिपत्र खंड 4 क्रमांक 1 के अंतर्गत मध्यप्रदेश नजूल निवर्तन निर्देश 2020 में नये प्रावधान भी सम्मिलित किये गए हैं। नजूल भूमि की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है तथा समस्त नजूल भूमि की जानकारी लैंडबैंक के नाम से वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जायेगी।
- ई-ऑक्शन की प्रक्रिया द्वारा भू-स्वामी हक में निवर्तन की व्यवस्था की गई हैं। पुल-पुलियां के साथ ही कन्वेयर बेल्ट या रोपे ट्राली लगाने के लिये लायंसेंस और गौशालाओं के लिए लायंसेंस का प्रावधान किया गया हैं।शासकीय भूमि के निवर्तन के लिये त्रि-स्तरीय समितियों जिला, संभाग, राज्य स्तरीय समितियों के गठन का प्रावधान किया गया हैं।
- अस्थाई पटटों का प्रावधान समाप्त किया जाना तथा पूर्व में जारी अस्थाई पटटों का स्थाई में परिवर्तन और आवासीय भूमि के स्थाई पट्टेदारों द्वारा उनके पटटे के भू-स्वामी हक में परिवर्तन कराने संबंधी प्रावधान भी किये गये हैं।
- मध्यप्रदेश नजूल भूमि रेल मार्ग, हाईवे, केन्द्रीय विद्यालय पंचायती राज संस्थानों (Kendriya Vidyalaya Panchayati Raj Institutions) के कार्यालय आदि के लिये शून्य प्रब्याजी पर भूमि आवंटन, सामाजिक सांस्कृतिक और मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को रियायती दर पर भूमि आवंटन, पूंजी निवशकों को संबंधित विभाग की नीति के अनुसार भूमि आवंटन, शासकीय परियोजनाओं (Government projects) के लिये निजी भूमि से शासकीय भूमि के विनिमय संबंधी मामलों में पूर्व प्रावधानों को यथावत रखते हुए समेकित किया गया हैं।स्थानीय निकाय या नगरीय निकाय को भूमियां भूमि-स्वामी हक में अतंरित होगी।
- मंत्रि-परिषद ने मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्वा कल्याण योजना (Chief Minister Kovid-19 Yodwa Kalyan Yojana) की समय अवधि 30 जून 2020 से 30 अक्टूबर 2020 तक बढ़ाने का निर्णय लिया।मंत्रि-परिषद ने आबकारी नीति वर्ष 2020-21 में संशोधन और मंत्रि समूह द्वारा की गयी अनुशंसाओं पर मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये आदेशों का अनुसमर्थन किया।
- वर्ष 2020-21 की शेष अवधि के लिये मदिरा दुकानों के पुनर्निष्पादन के संबंध में लिये गये निर्णय और उस पर वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा की गई कार्यवाही का भी मंत्रिपरिषद ने अनुसमर्थन किया। मंत्रि-परिषद द्वारा एकलव्य निजी विश्वविद्यालय दमोह की स्थापना के संबंध में प्रस्तुत संशोधन अध्यादेश 2020 का अनुमोदन प्रदान किया गया।
- मंत्रि-परिषद ने नगरीय निकायों में संपत्तिकर संबंधी मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश 2020, नगरीय निकायों के अध्यक्ष/महापौर के निर्वाचन प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने संबंधी मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) अध्यादेश 2020 तथा मध्यप्रदेश कराधान धिनियमों की पुरानी बकाया राशि का समाधान अध्यादेश 2020 को अनुमोदन प्रदान किया।
- मध्यप्रदेश नजूल भूमि निर्वतन निर्देश 2020 – नये प्रावधान
1. नजूल भूमि की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है तथा समस्त नजूल भूमि की जानकारी लैण्ड बैंक के नाम से वैबसाइट पर भी प्रदर्शित की जाएगी।
2. नीलामी (ई-ऑक्शन की प्रक्रिया द्वारा) के माध्यम से भूमिस्वामी हक में निवर्तन।
3. पुल-पुलिया के साथ ही कन्वेयर बैल्ट या रोप ट्राली लगाने के लिए लाइसेंस एवं गौशालाओं के लिए लाइसेंस का प्रावधान।
4. शासकीय भूमि के निवर्तन के लिए त्रि-स्तरीय समितियों, यथा-जिला, संभाग एवं राज्य स्तर के गठन का प्रावधान।
5. बड़े क्षेत्रफल की शासकीय भूमि के चयन एवं नीलामी के लिए भूमि प्रबंधन प्राधिकारी के गठन का प्रावधान।
6. वर्तमान भू-भाटक जो सामान्यत: प्रब्याजी का 5 प्रतिशत अथवा 7.5 प्रतिशत निर्धारित होता है, के स्थान पर मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (भू-राजस्व का निर्धारण तथा पुर्ननिर्धारण) 2018 की विहित दर का दोगुना, जो पूर्व में देय भू-भाटक की तुलना में कम होगा।
7. अस्थाई पट्टे का प्रावधान समाप्त किया जाना तथा पूर्व में जारी अस्थाई पट्टों का स्थाई में संपरिवर्तन का प्रावधान किया गया है।
8. आवासीय भूमि के स्थाई पट्टेदारों द्वारा उनके पट्टे का भूमिस्वामी हक में संपरिवर्तन कराने का प्रावधान