भोपाल। मध्यप्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम में एक बड़े उलटफेर के चलते स्पीकर एन पी प्रजापति ने सोलह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये हैं। ये वही कांग्रेस के बागी विधायक हैं जो पिछले दस दिनों से बेंगलुरू में डेरा डाले हुए हैं।
इनमें सुरेश धाकड़, रक्षा संतराम सरोनिया, जजपाल सिंह जज्जी, विजेंद्र सिंह, रघुराज कंसाना, ओपीएस भदौरिया, मुन्नालाल गोयल, गिर्राज दंडोतिया, कमलेश जाटव, रणवीर सिंह जाटव, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, हरदीप सिंह डंग और मनोज चौधरी ,एन्दल सिह कंसाना, बिसाहू लाल सिंह शामिल हैं।
आपको बता दें कि इन विधायकों को वापस लाने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गुरूवार रात तक बेंगलुरू में ही थे। कई कोशिशों के बाद भी उनका विधायकों से संपर्क नहीं हो पाया था। बीजेपी की बार बार फ्लोर टेस्ट की मांग के बीच कांग्रेस लगातार ये कहती रही थी कि उनके विधायकों को बीजेपी ने बंधक बनाया है। इस बीच दिग्विजय सिंह ने कर्नाटक हाईकोर्ट में विधायकों से मिलने की अनुमति देने की याचिका भी दायर की थी लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए शुक्रवार को राज्य सरकार को बहुमत साबित करने को कहा था। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि शुक्रवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराया जाए। फ्लोर टेस्ट में विधायक हाथ उठाकर वोटिंग करेंगे। इसके साथ ही बेंगलुरु में ठहरे 16 विधायकों को लेकर कहा गया कि उनपर विधानसभा में उपस्थित रहने का कोई दबाव नहीं है, ये उनकी इच्छा पर निर्भर करता है कि वे विधानसभा में उपस्थित रहना चाहते हैं या नहीं। साथ ही कर्नाटक और मध्यप्रदेश के डीजीपी को आदेश दिया गया है कि उन विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
इस निर्णय के बाद से ही असमंजस बरकरार था कि शुक्रवार को फ्लोर टेस्ट में ये विधायक शामिल होंगे या नहीं। गुरूवार देर रात ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की घोषणा भी की और इसी के साथ अटकलों का दौर और तेज़ हो गया। लेकिन इसके कुछ ही समय बाद विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने की खबर आ गई और इसी के साथ इन विधायकों को लेकर संस्पेंस खत्म हो गया है।