भोपाल।
कमलनाथ सरकार के शिक्षकों की भर्ती के नए फॉर्मूले ने शिक्षकों को चिंता में डाल दिया है। अगर नए फॉर्मूले से भर्तियां की गई तो करीब 40 हजार से ज्यादा शिक्षक की भर्ती निरस्त सकती है, क्योंकि नए नियम के अनुसार एमपीपीएससी छोड़कर सभी विभागों में आवेदकों की अधिकतम आयु 35 साल कर दी गई है।जबकी परीक्षा के प्रथम दो चरण में 30 हजार 800 पदों के लिए 7.20 लाख आवेदक परीक्षा दे चुके हैं। अगर नियम लागू होता है तो 32 से ऊपर वाले सभी शिक्षक बाहर होंगें। ऐसे में परीक्षा का विवादों में घिरना तय है।वही सरकार के इस फॉर्मूले से शिक्षकों का भविष्य अधऱ में लटक गया है।
दरअसल, वर्ष 2011-12 में संविदा शिक्षक वर्ग 1, 2 और 3 की परीक्षा आयोजित की गई थी। उसके बाद वर्ष 2018 में इसका नाम बदलकर शिक्षक भर्ती परीक्षा कर दिया गया था। सात साल इंतजार के बाद ऐसे आवेदक भी परीक्षा में शामिल हुए, जिनकी उम्र 40 वर्ष पार कर चुकी है। इस परीक्षा में प्रथम दो चरण में 30 हजार 800 पदों के लिए स्थाई पद होने तथा अधिक वेतन के कारण सात लाख से अधिक आवेदक परीक्षा दे चुके हैं। इनमें 60 प्रतिशत उम्मीदवारों की आयु 32 साल से ज्यादा है। इस परीक्षा में सामान्य के अलावा आरक्षित वर्ग के 40 से 45 साल तक के उम्मीदवारों ने परीक्षा दी है।
लेकिन हाल ही में राज्य सरकार के नए निर्णय के अनुसार एमपीपीएससी छोड़कर सभी विभागों में आवेदकों की अधिकतम कम कर दी है।जिसके अनुसार, प्रदेश में सामान्य वर्ग की आयु सीमा 40 वर्ष से घटाकर 35 वर्ष, ओबीसी की 43 से घटाकर 40 और एससी एवं एसटी की 45 वर्ष से घटाकर 40 वर्ष हो गई है। जबकी इससे पहले हुई परीक्षाओं में अधिकतम 40 से अधिक तथा 45 वर्ष से कम आयु के लाखों आवेदक बैठ चुके हैं।ऐसे में अगर भर्ती के समय यह नियम लागू किया जाता है तो  प्रदेश के लाखों आवेदक भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। परीक्षा के बाद भर्ती के लिए दोबारा फार्म भरे जाना हैं। ऐसे में 35 साल से अधिक आयु के आवेदक परेशानी में आ गए है , कि वे आवेदन करे या नही। हालांकि पीईबी का कहना है कि उनके पास इस संबंध में अभी कोई आदेश नही आए है , राज्य शासन का फैसला ही अंतिम होगा। अगर नियम लागू होगा तो विवाद होना तय माना जा रहा है, सरकार के इस फैसले से सभी शिक्षकों का भविष्य दांव पर लग गया है।