भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग मिलने का रास्ता साफ हो गया है। एपीडा बोर्ड ने इस मामले में दर्ज अपनी आपत्ति को वापस ले लिया है, इसके साथ ही मध्यप्रदेश की शान शरबती गेंहू को भी जीआई टैग दिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
नई दिल्ली में आज संपन्न हुई एपीडा बोर्ड की बैठक मध्यप्रदेश के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रही। एपीडा बोर्ड के डायरेक्टर चेतन सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग देने का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग देने के खिलाफ एपीडा ने दर्ज कराई गई अपनी आपत्ति को वापस ले लिया है, अब केन्द्रीय कृषि विभाग बासमती चावल का क्षेत्र विस्तार कर मध्यप्रदेश में बासमती चावल उगाने वाले क्षेत्रों को इसमें शामिल करेगा। एपीडा डायरेक्टर चेतन सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश के शरबती गेंहू को भी जीआई टैग देने के प्रस्ताव को मंजूरी देकर कृषि मंत्रालय भेज दिया गया है। प्रदेश के बासमती चावल और शरबती गेंहू को जीआई टैग मिल जाने से अब किसानों को अपनी उपज के पहले से बेहतर दाम मिल सकेंगे।
एपीडा के बोर्ड डायरेक्टर चेतन सिंह ने बताया कि प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति क्षेत्रों में कड़कनाथ मुर्गे के पालन को एपीडा ने अपने हाथ में लिया है। इन क्षेत्रों में महिलाओं की समितियों द्वारा कड़कनाथ का पालन करने पर चारा, बीज और सब्सिडी सहित अनेक सुविधाएं दी जाएंगी। प्रदेश में काला गेंहू का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन योजना को भी एपीडा ने मंजूरी दी है, क्लस्टर बनाकर इस योजना का विस्तार किया जाएगा। एपीडा ने उज्जैन में संतरे की पैदावार को लेकर भी दिलचस्पी दिखाई है, इसके लिए अगले दो माह में विस्तृत कार्ययोजना बनाकर अमल शुरू किया जाएगा। एपीडा की अगली बैठक भी अब महाकाल की नगरी उज्जैन में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।