Bhopal News: MSME कानून को लेकर बैरागढ़ में व्यापारियों ने निकाला पैदल मार्च, कहा- “काले कानून को वापस ले सरकार”

एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार की तरफ से 5 मार्च को सभी चार्टर्ड अकाउंटेट (CA) को जारी एक नोटिफिकेशन में 43 B(H) को ऑडिट रिपोर्ट में समावेश कर दिया गया है।

Shashank Baranwal
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Bhopal

Bhopal News: केंद्र सरकार द्वारा MSME कानून एक अप्रैल 2024 से लागू कर दिया जागा। इस कानून के लागू होने से व्यापारी ने अगर 45 दिनों में भुगतान नहीं किया तो उसके बकाए रकम को विक्रेता की आवक में मानकर उसका आयकर भरना पड़ेगा। वहीं इस कानून को लेकर सूरत समेत देश भर के कोने कोने में व्यापारी सड़कों पर आ गए है। साथ ही राजधानी भोपाल के व्यापारिक नगर बैरागढ़ में भी थोक वस्त्र व्यवसाय संघ के पदाधिकारियों ने अपना विरोध प्रदर्शन कर काले काननू को वापस लेने की बात कही।

व्यापार करना होगा मुश्किल

बैरागढ़ के मुख्य मार्ग पर झंडे बैनर हाथों में लेकर व्यापारियों ने प्रदर्शन किया। संघ के अध्यक्ष कन्हैया इसरानी ने इस प्रदर्शन का नेतृत्व किया। व्यापारी संघ ने कहा कि वैसे ही व्यापारी टैक्सों के बोझ से दबा हुआ है, उसके बाद फिर MSME कानून को लागू हो जाने से व्यापारियों के लिए और परेशानी बढ़ेगी। व्यापारियों का कहना है कि इसके लागू होने से व्यापार करना मुश्किल हो जागा।

 

ये है कानून

यदि माल MSME कानून के तहत खरीदा गया हो और उसका पेमेंट बाकी होने पर 45 दिन में भुगतान नहीं किया जाता है तो उस बकाया रकम को विक्रेता की आवक मानकर माना जाएगा। वहीं यह कानून 1 अप्रैल 2024 से लागू होने वाला है। हाल ही में विविध व्यापारिक जगत के खेमे द्वारा इस नियम का विरोध किया जा रहा है। ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार की तरफ से 5 मार्च को सभी चार्टर्ड अकाउंटेट (CA) को जारी एक नोटिफिकेशन में 43 B(H) को ऑडिट रिपोर्ट में समावेश कर दिया गया है। इसका स्पष्ट संकेत है कि सरकार ने 43 B(H) को इसी साल से लागू करने का तय किया हुआ है।

भोपाल से रवि कुमार की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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