वीडी शर्मा ने कम मतदान को बताया राज्य निर्वाचन आयोग का घोर अपराध, आयुक्त कर रहे पक्षपात

Gaurav Sharma
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भोपाल, गौरव शर्मा। नगरीय निकाय चुनावों में हुए कम मतदान को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग बीजेपी के निशाने पर है। एमपी ब्रेकिंग से खास बातचीत में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने इन चुनावों में राज्य निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करते हुए आयुक्त पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है।

मध्य प्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव में पहले चरण में लगभग 50 फ़ीसदी मतदान के आंकड़ों ने राजनीतिक दलों को चिंता में डाला ही साथ यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि आखिरकार इतने जागरूकता अभियान चलाए जाने के बाद भी मतदान इतना कम क्यों! प्रारंभिक तौर पर जो कुछ निकल कर सामने आया है उसमें काफी हद तक यह बात सामने आ रही है कि इस बार न केवल कई लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब थे बल्कि कई लोगों के वोटिंग बूथ भी बदल गए जिसकी सूचना उन्हें समय रहते नहीं मिली। हर बार चुनाव में बीएलओ की जिम्मेदारी होती है कि वह घर घर जाकर मतदाता पर्चियों का वितरण करें लेकिन इस बार ऐसे उदाहरण भी कम ही मिले।

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अब इन चुनावों में राज्य निर्वाचन आयोग की भूमिका को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने आयोग की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। वी डी शर्मा का कहना है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी हुई, पति पत्नी के नाम अलग-अलग बूथो पर चले गए या सरकारी कर्मचारी को पोस्टल बैलट नहीं मिले, इसकी जिम्मेदारी बीएलओ तक तो है ही, लेकिन इस पूरी व्यवस्था को लीड करने वाला कौन था और क्या इस नाते राज्य निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह इन सब चीजों को नहीं होने देता।

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वीडी शर्मा ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जब आपको चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई तो आपने उसे जमीनी स्तर पर उतारने के लिए क्या कदम उठाए। एक व्यक्ति भी यदि किसी की लापरवाही से मतदान से वंचित हुआ है तो वह घोर अपराध है और इस पर कार्रवाई होनी चाहिए। हाल ही के कुछ दिनों में राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह के मीडिया में छपे कुछ बयानों को लेकर भी विष्णु दत्त शर्मा ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि संवैधानिक संस्था के प्रमुख होने के नाते इस तरह के बयान चुनाव आयुक्त को नहीं देनी चाहिए।

उन्होंने राज्य निर्वाचन आयुक्त पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के दिन यानी 13 जुलाई को यदि बीजेपी के लोग वोटिंग की तारीख आगे बढ़ाने की मांग करते हैं और यह मांग इसलिए करते हैं क्योंकि निचले स्तर से जनता की आवाज सामने आ रही है तो राज्य निर्वाचन आयुक्त इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं कि कांग्रेस की तरफ से कोई डिमांड आएगी फिर ऐसा किया जाएगा। कांग्रेस तो चाहती ही नहीं कि हिंदुओं के ज्यादा संख्या में वोट पड़े क्योंकि उसे पता है कि इसका बीजेपी को ही फायदा होना है। लेकिन राज्य निर्वाचन आयुक्त के इस तरह के बयान बताते हैं कि वे पक्षपाती हैं और वे जिस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं मध्य प्रदेश की जनता इसका जवाब भी मांगेगी। वीडी शर्मा ने बीजेपी के त्रिदेव यानी कि अध्यक्ष, महामंत्री और बीएलए को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने चुनाव आयोग की इन विसंगतियों को उजागर किया और जनता के सामने रखा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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