विश्वास सारंग ने बताया दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के पोस्टर पर फोटो लगाने से क्यों किया इंकार? भारत जोड़ो यात्रा को बताया स्क्रिप्टेड

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) का एक लेटर इस समय चर्चा में बना हुआ है। उन्होंने पीसीसी चीफ कमल नाथ को पत्र लिखकर (Digvijay Singh wrote a letter to Kamal Nath) मध्य प्रदेश में आ रही भारत जोड़ो यात्रा  के स्वागत के लिए छपने वाले पीसीसी के किसी भी पोस्टर में उनकी फोटो नहीं लगाने का (Digvijay Singh refuses to put photo on Congress poster)  अनुरोध किया है।  दिग्विजय सिंह के पत्र पर भाजपा ने पलटवार किया है।

मप्र भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने दिग्विजय सिंह के पत्र पर पलटवार किया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये बात तो कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पहले ही तय कर चुका है कि दिग्विजय सिंह का फोटो नहीं नहीं लगेगा।

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क्योंकि जहाँ भी दिग्विजय सिंह के पोस्टर लगेंगे वहां कांग्रेस के वोट कम हो जायेंगे, इसलिए दिग्विजय सिंह अपनी फेस सेविंग के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के साथ तो खडगे ने भी गलत काम किया है जो कमेटी में 29 वे नंबर पर उनका नाम रखा है जबकि उनसे बहुत जूनियर प्रियंका गांधी , सुरजेवाला का नाम उनसे ऊपर रखा है। दिग्विजय सिंह की लगातार बेइज्जती हो रही है इसलिए अपनी फेस सेविंग के लिए वे पत्र लिख रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि वो भारत को जोड़ने के लिए यात्रा निकाल रहे हैं लेकिन हकीकत में तो वे कांग्रेस को ही नहीं जोड़ पा रहे। गुटों में बंटी कांग्रेस की कुंठा साफ़ दिखाई दे रही है।  उन्होंने कहा कि फोटो पॉलिटक्स क्यों हो रही है ? राहुल गांधी देश को गुमराह करने की बातें कर रहे हैं , जो लड़की पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाती है राहुल गांधी उसे गले लगाते हैं, कभी मां के जीते के फीते बांधते हैं कभी दौड़ लगाते हैं और फोटो खिंचवाते हैं।  ये सब स्क्रिप्टेड है , इस पर ज्यादा चर्चा की जरुरत नहीं है।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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