भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना आपदा के बाद मध्यप्रदेश सरकार (Mp government) बड़े आर्थिक संकट की मार झेल रही है। कोरोना संकट (Corona crisis) की वजह से प्रभावित प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों (Economic activities) को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के माध्यम से लगातार कर्ज ले रही है। हालांकि बढ़ती जिम्मेदारियों को देखते हुए सरकार अब अपने खर्चो में कटौती कर रही है। आमदनी घटने की वजह से सरकार अब तक कई विभागों के कर्मचारियों के सैलरी में कटौती कर चुकी है। वहीं अब सरकार ने खर्च में कटौती के लिए एक ओर बड़ा फैसला किया है।
प्रदेश सरकार ने विभिन्न विभागों में आउटसोर्स के माध्यम से नौकरी पर नियुक्त किए गए डाटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में शासन ने आदेश जारी कर दिया है। आदेश में एजेंसी के साथ अनुबंध समाप्त होने का हवाला देते हुए सेवा समाप्त करने की बात कही गई है। जिसमें कहा गया है कि कृषि विपणन बोर्ड के मुख्यालय, ग्रामीण कार्यालयों, तकनीकी कार्यालयों और कृषि मंडी समितियों में अनुबंधित एजेंसियों से आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त डाटा एंट्री ऑपरेटरों की नियुक्तियां जिस एंजेसी ने की थी, सरकार के साथ उसका अनुबंध 17 अक्टूबर 2020 को सामाप्त हो रहा है। इसलिए 16 अक्टूबर से डाटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। त्यौहारों से पहले सेवा सामप्ती का आदेश मिलने से ऑपरेटरों में हडक़ंप मच गया है और उन्हें अपने रोजगार की चिंता सताने लगी है। गौरतलब है कि कोरोना आपदा की वजह से हुए लॉक डाउन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। इसे पटरी पर लाने के लिए सरकार अपने स्तर पर काम करने के प्रयास कर रही है। राज्य सरकार अब तक 85 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। वहीं 14 अक्टूबर को सरकार एक बार फिर से 1000 करोड़ रुपए का लोन लेने की तैयारी में है।