MP Transfer Policy : एक तरफ मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव की अनुमति से आईएएस अफसरों के तबाड़तोड़ तबादले हो रहे है वही दूसरी तरफ लंबे समय से सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को नई तबादला नीति का इंतजार है। इसी बीच खबर आई है कि नए साल में लंबे समय से लगा तबादलों से बैन हट सकता है, हालांकि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले मंत्रियों को जिले के भीतर और विभाग में सीमित तबादले करने का अधिकार दिए जा सकता है।
दरअसल, लंबे समय से तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है और ना ही नई तबादला नीति जारी हुई है, जिसके चलते कर्मियों में नाराजगी बढ़ रही है।हालांकि इन दिनों जितने भी तबादले हो रहे हैं, वे मुख्यमंत्री समन्वय से हो रहे है, लेकिन सीएम के दौरे और व्यस्थता के चलते कई फाइलें पेंडिंग पड़ी हुई है। मुख्य सचिव अनुराग जैन भी अधिकतर फाइलें वापस लौटा चुके है। बीते दिनों कैबिनेट बैठक में अनौपचारिक चर्चा में मंत्रियों ने CM के सामने अपनी बात रखते हुए कहा था कि राज्य में 2 साल से तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है, प्रशासनिक और व्यवाहरिक दृष्टि से जमावट करना आवश्यक है इसलिए नई तबादला नीति जल्द घोषित की जाना चाहिए, ताकी प्रदेश में तबादले हो सके।
प्रस्ताव तैयार लेकिन करना होगा इंतजार
- सूत्रों का मानें तो सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादला नीति का प्रारूप तैयार कर लिया है,अब बस मुख्यमंत्री की हरी झंडी का इंतजार है, इसके बाद नई तबादला नीति जारी कर दी जाएगी।आमतौर पर राज्य सरकार प्रतिवर्ष मई-जून में तबादलों से बैन हटाती है, लेकिन इस बार मार्च अप्रैल तक पहुंच सकती है।इधर, सामान्य प्रशासन विभाग ने अब मंत्रालय में पदस्थ तृतीय श्रेणी लिपिकों की पदस्थापना की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है लेकिन अन्य विभागों के कर्मचारियों को नई तबादला नीति का इंतजार है।
- सुत्रों की मानें तो नई तबादला नीति के तहत एक निश्चित अवधि में प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले होंगे, लेकिन किसी भी संवर्ग में 20% से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के जिले के भीतर तबादले करने का अधिकार प्रभारी मंत्रियों तो राज्य स्तर पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन उपरांत तबादले होंगे। गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जा सकती है।