निगमकर्मी की हत्या का सीसीटीवी फुटेज आया सामने, बीच बचाव कराना पड़ा भारी

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर में नगर निगम के उद्यान विभाग में काम करने वाले कर्मचारी की हत्या बीच बचाव के दौरान हो गई। अब निगमकर्मी की हत्या के सीसीटीवी फुटेज सामने आए है। वही पुलिस ने दो आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।

बता दें कि घटना शनिवार रात की है और रविवार दोपहर को मृतक के परिजनों ने चक्काजाम कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। दरअसल, 45 साल के निगमकर्मी प्रहलाद पिता पन्नालाल बिंदोरिया निवासी महावर नगर ड्यूटी से लौटने के बाद अपने घर के पास पानी पूरी का ठेला लगाता था और रोज की तरह वो शनिवार को भी ठेला लगाकर ग्राहकों का इंतजार कर रहा था।

इसी दौरान आरोपी गौतम इकलोदिया और अजय हटकर का विवाद महावर नगर में रहने वाले हरिनारायण नामक व्यक्ति से गाड़ी तेज चलाने को लेकर हो गया। जब इनका विवाद बढ़ने लगा तो दोनों पक्षो को शांत कराने के लिए प्रहलाद ने बीच बचाव की कोशिश की। बस ये ही बात नामचीन बदमाश गौतम इकलोदिया निवासी महावर नगर और अजय हटकर निवासी घनश्यामदास नगर को नागवारा गुजरी और दोनों ने प्रहलाद पर बड़े पत्थरों से हमला बोल दिया। जिसके बाद गम्भीर रूप से घायल प्रहलाद को अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

इधर, घटना की जानकारी देते अन्नपूर्णा थाना प्रभारी सतीश द्वेदी ने बताया कि दोनों आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है। वही घटना के सीसीटीवी फुटेज सामने आए है और अब पुलिस पूरे मामले की तफ्तीश कर आरोपियों से कड़ी पूछताछ में जुट गई है।

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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