भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव (by- election) के लिए सियासी रण पूरी तरह से तैयार हो चुका है। चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक दलों ने प्रचार प्रसार भी जोर- शोर से शुरू कर दिया है। भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ही प्रमुख दलों के राजनेता चुनावी सभाओं और रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। एक ओर जहां भाजपा की तरफ से सीएम शिवराज (CM Shivraj) और उनके कैबिनेट मंत्रियों समेत सांसदों और बड़े नेताओं ने मोर्चा संभाला हुआ है, तो वही दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से भी वोट बटोरने के लिए पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamalnath) समेत तमाम नेता मैदान में डटे हुए है। इन बस के बीच कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay singh) नदारद है। उपचुनाव के समय उनकी गैरमौजूदगी इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
कोरोना से लड़ाई के बीच इन दिनों प्रदेश में सत्ता की लड़ाई भी जोरों पर है। उपचुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, ऐसे में कांग्रेस दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए पूरजोर कोशिश में जुटी हुई है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने खुद इसकी बागडोर अपने हाथों में संभाल रखी है और उपचुनाव वाले क्षेत्रों में कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं के साथ प्रचार प्रसार के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में हमेशा सतर्क भूमिका निभाने वाले दिग्विजय सिंह इस बार चुनाव में नजर नहीं आ रहे हैं। उनकी गैरमौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में कानाफूसी शुरू कर दी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनावी राजनीति से दिग्विजय सिंह को साइड लाइन किया जा रहा है। दिग्विजय सिंह क्या वाकई पार्टी द्वारा दरकिनार किए जा रहे हैं या फिर यह केवल एक चुनावी रणनीति है। चुनावी मौकों पर भाजपा हमेशा दिग्विजय सिंह को निशाने पर लेती रही हैं। चुनावों के समय अपने भाषणों में भाजपा नेता दिग्विजय सिंह को ‘मिस्टर बंटाधार’ बताकर उनके शासनकाल की सडक़े, बिजली आदि के हाल याद दिलाते है। हालांकि 2018 विधानसभा चुनाव के समय दिग्विजय सिंह खुद भी यह बोलते नजर आए थे कि वो चुनावों में इसलिए प्रचार नहीं करते क्योंकि प्रचार करने से पार्टी के वोट कटते हैं। तो क्या दिग्विजय सिंह का उपचुनाव से दूरी का एक कारण यह भी हो सकता है। बहरहाल कारण जो भी हो लेकिन दिग्विजय सिंह का उपचुनाव से नदारद होना कई सवाल खड़े कर रहा है। अब देखना यह है कि क्या दिग्गी ‘बैकरुम बॉय’ की भूमिका निभा रहे हैं या फिर वास्तव में वे हाशिये पर धकेले जा चुके हैं और जान बूझकर उन्हें चुनावी राजनीती से दूर रखा जा रहा है।