केन नदी का अस्तित्व खतरे में, मुख्यधारा को रोककर हो रहा रेत उत्खनन

छतरपुर, संजय अवस्थी। जिले में रेत उत्खनन का ठेका शासन ने आनंदेश्वर फूड एग्रो कंपनी को दिया है। इस कंपनी ने सैकड़ों पेटी कांट्रेक्टर पैदा कर दिए हैं। ये पेटी कांट्रेक्टर रेत का उत्खनन जिस तरह से शासन की गाइड लाइन को दरकिनार करके कर रहे हैं, इससे छतरपुर, पन्ना और बांदा जिले की जीवनरेखा केन नदी (Cane River) का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

चंदला से लेकर गौरिहार के रामपुर घाट तक नदी में सैकड़ों जगह 300-300 फीट गहरे गड्ढे बना दिए गए हैं और केन नदी की मुख्यधारा रोककर भी खनन हो रहा है। रेत खनन में खुलकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की गाइड लाइन की अनदेखी अधिकारियों द्वारा की जा रही है। केन एक ऐसी नदी है जिस पर एक भी उद्योग स्थापित नहीं है। पन्ना नेशनल पार्क से गुजरने वाली इन नदी का पानी पूरी तरह से शुद्ध है और देश की सबसे पवित्र नदियों में शामिल है, लेकिन जिस तरह से नदी को तबाह किया जा रहा है इससे यहां जलीय जीवों का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है।

आसपास के रहवासी और किसान परेशान
रेत उत्खनन करने वाली कंपनी आनंदेश्वर फूड एग्रो व उसके पेटी कांट्रेक्टरों के खिलाफ ज्ञापन सौंपने के लिए हर्रई गांव के लोगों को तहसीलदार का तीन दिन तक इंतजार करना पड़ा। चंदला तहसील क्षेत्र के बंशिया थाना क्षेत्र के हर्रई गांव के किसान रेत उत्खनन करने वाली कंपनी व पेटी कांट्रेक्टरों से परेशान हैं। इन ग्रामीणों ने बताया कि रेत का मशीनों से जिस तरह से उत्खनन हो रहा है, इससे सैकड़ों किसानों की रोजीरोटी छिन गई है। नदी किनारे के खेत तबाह हो चुके हैं। किसानों के खेतों से रोजाना हजारों ट्रक रेत निकाली जा  रही है। ये ट्रक खेतों में लगी फसल को नष्ट कर देते हैं। रेत के कारण फसलें नष्ट हो रही हैं। इसके साथ ही नदी में बड़ी संख्या में मशीनें उतारी गई हैं और नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

मुख्यमंत्री का बयान बना उम्मीद
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कई बार कहा है कि प्रदेश से माफियाराज खत्म किया जाएगा। इसके लिए सख्त कदम उठान के लिए प्रशासन को निर्देश जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री का यह बयान केन और धसान का अस्तित्व खत्म कर रहे रेत ठेकेदार के खिलाफ वरदान साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री ने बड़े ठेकेदारों को संरक्षण देने को कहा है, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने बयान में यह कहीं भी नहीं कहा कि बड़े ठेकेदार छोटे-छोटे ठेकेदारों, रेत माफियाओं से हाथ मिलाकर रेत का खनन करें और नदियों का अस्तित्व खत्म कर दें। जिले में यही हो रहा है। केन नदी में सरवई से लेकर गौरिहार तक एक-दो नहीं सैकड़ों की संख्या में एलएनटी मशीनें नदी में उतार दी गई हैं। इन मशीनों से जिस तरह से उत्खनन हो रहा है, इससे केन में पाए जाने वाले जलीय जीव खत्म हो चुके हैं। नदी की मूलधारा खत्म हो गई है। नदी अब सिर्फ बीहड़ में बदल चुकी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि केन में 300-300 फीट गहरे गड्ढे कर दिए गए हैं। इन गड्ढों में भी पानी आ गया है, इसे खत्म करने के लिए मशीनें लगाई गई हैं। समय रहते अगर इस अवैध उत्खनन के खिलाफ कार्रवाई न हुई तो भूजल भी खत्म हो जाएगा।

जलीय जीव गायब 
केन नदी के किनारे न तो कोई महानगर बसा है और न ही इसके किनारे कोई छोटा-बड़ा उद्योग है। यह नदी पन्ना नेशनल पार्क से होकर प्रवाहित होती है। ऐसे में अनेक औषधीय पौधों की जड़ों का रस इस नदी के पानी में मिलता है। सुनवानी से बांदा तक इस नदी में कलिंद मछली पाई जाती थी। यह मछली देश में केवल केन नदी में ही पाई जाती थी, लेकिन रेत के कारोबार ने इस दुर्लभ मछली को खत्म कर दिया है। इसी तरह केन नदी में पाए जाने वाले घड़ियाल का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता। केन नदी अब जगह-जगह गड्ढों और पोखरों में तब्दील हो चुकी है। ऐसे में अब लोगो को इंतजार है कि सीएम की मंशा अनुरूप कार्रवाई हो और दबंगई पर उतर आए रेत माफिया के खिलाफ ठोस एक्शन लिया जाए।

केन नदी का अस्तित्व खतरे में, मुख्यधारा को रोककर हो रहा रेत उत्खनन

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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