Chhindwara : नदी में डूबे बच्चे, एक की मौत, एक की तलाश जारी

Gaurav Sharma
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Children drowned in river in chhindwara

छिंदवाड़ा, विनय जोशी। घर से नदी में नहाने निकले मासूमों को क्या पता था कि वो आखरी बार नदी में नहा पाएंगे । कल घर से 2-3 बजे निकले बच्चें जब देर रात घर नहीं पहुंचे तब परिजनों की चिंता बढ़ गई और परिवारजनों ने पुलिस को सूचना देकर खोजने निकल पड़े। जिनका एक का शव सुकरी नदी में तैरता मिला तो दूसरे की तलाश जारी है, जिसमे ब्लाक और जिले के गोताखोर लगातार मेहनत कर रहे है।

दरअसल,  छिंदवाड़ा जिले के (Chhindwara)परासिया ब्लाक के सिरेगांव में रहने बाले धनराज अपने चचेरे भाई के साथ पगारा ग्रामपंचायत स्थित सुकरी नदी में नहाने आए थे। जिसमें एक डूबे हुए मासूम का शव तैरते हुए मिला, इसी सम्भावना के आधार पर पुलिस प्रशासन और गोताख़ोर तलाश कर रहे है।

पुलिस जानकारी अनुसार दोनों मासूम कल घर से निकले थे , देर रात घर नहीं पहुंचने पर परिजनों ने डायल हाड्रेड पर पुलिस को दी सूचना। रात में पुलिस करती रही तलाश नदी पुल के पास मिले कपड़े और सायकल दोपहर नदी में उतराता मिला वो धनराज वंशकार का शव है। मौके पर परासिया पुलिस के साथ होमहार्ड , एसडीआरएफ रेस्क्यू टीम छिंदवाड़ा द्वारा तलाश जारी कर मामला परासिया थाना के अंतर्गत न्यूटन चिखली चौकी का है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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