नियमों में उलझी मुख्यमंत्री की घोषणा, नौकरी के लिए भटक रहे कर्मचारियों के परिजन 

Atul Saxena
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ग्वालियर,  अतुल सक्सेना। ग्वालियर के महाराज बाड़ा स्थित नगर निगम के पुराने मुख्यालय (Gwalior Municipal Corporation Old Head Office)भवन पर 15 अगस्त के  लिए राष्ट्रध्वज लगाने की तैयारियों करने के दौरान 14 अगस्त को हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म (क्रेन)टूटने से (Gwalior Crane Accident) जान गंवाने वाले नगर निगम के दो कर्मचारियों के परिजनों के दुःख कम नहीं हो रहे हैं। परिवार के लिए कमाने वाले मुखिया की अचानक मौत से टूटे परिवारों को मुख्यमंत्री की अनुकम्पा नियुक्ति की घोषणा ने राहत दी थी लेकिन अब ये भी नियमों में उलझ कर रह गई है। ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर ने नियमों का हवाला देते हुए अनुकम्पा नियुक्ति देने से इंकार कर दिया है तो वहीँ मतारकों के परिजन ने आउट सोर्स पर नौकरी करने से इंकार कर दिया है।

14 अगस्त को हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म (क्रेन) टूटने के हादसे में नगर निगम के तीन कर्मचारियों कुलदीप दंडोतिया , प्रदीप राजौरिया और विनोद शर्मा की मौत हो गई थी। इसमें से कुलदीप दंडोतिया और प्रदीप राजौरिया दोनों विनियमित कर्मचारी थे।  घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संवेदनशीलता दिखाते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और अनुकम्पा नियुक्ति देने की घोषणा की थी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) की घोषणा के बाद प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट (Tulsiram Silawat) ने घटना के तत्काल बाद महाराज बड़ा पहुंचकर गुस्साए लोगों को शांत किया और मुख्यमंत्री की घोषणा दोहराई , उसके बाद कलेक्टर ग्वालियर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने ट्विटर के माध्यम से आर्थिक सहायत दिए जाने की जानकारी शेयर की।

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सरकार की तरफ से 4-4 रुपये की आर्थिक सहायता राशि तो मृतकों के परिजनों को सौंप दी गई लेकिन अनुकम्पा नियुक्ति का पत्र अभी तक परिजनों को नहीं मिला। मालूम पड़ा है कि अनुकम्पा नियुक्ति अधर में लटक गई है क्योंकि उसमें कोई नियमों का अड़ंगा है।

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दरअसल नगर निगम आयुक्त (प्रभारी) आशीष तिवारी नगरी प्रशासन विभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है कि मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ- 5-1/2013 /1/3 भोपाल दिनांक 7-10-16 और नगरीय प्रशासन एवं  विकास विभाग मंत्रालय भोपाल की ओर से जारी परिपत्र क्रमांक एफ – 4-134/2017/18-1 भोपाल दिनांक 1-8-17  में विनियमित कर्मचारियों की मृत्यु हो जाने की स्थिति में  अनुकम्पा नियुक्त दिने जाने का कोई प्रावधान उल्लेखित नहीं है।

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इसलिए हादसे के शिकार विनियमित दोनों कर्मचारियों की पत्नियों को आउट सोर्स के माध्यम से नियुक्त किया गया लेकिन मृतकों के परिजन ने आउट सोर्स पर नियुक्ति को स्वीकार नहीं किया है वे नियमित पद पर नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। नगर निगम आयुक्त ने इस पत्र के मध्यम से नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त से उनक मार्गदर्शन मांगा है।

बहरहाल फिलहाल अभी ये कहना मुश्किल है कि मृतकों के परिजनों को स्थाई नियुक्ति मिल पायेगी की नहीं लेकिन ये स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि जान गंवाने वाले परिवारों पर दुखों का पहाड़ कम नहीं हो रहा है। अब देखना ये हैं कि संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी घोषणा की लाज कैसे रखते है और क्या तिरंगा लगाने के दौरान जान गंवाने वाले दो विनियमित कर्मचारियों को नगर निगम में स्थाई अनुकम्पा नियुक्ति मिल पाती है?


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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