फरार चल रहे कांग्रेसी नेता चढ़े पुलिस के हत्थे, अवैध हथियार और जुआ खिलाने का था आरोप

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार। घर पर जुआ खिलाने और अवैध हथियार रखने के आरोप में पिछले एक माह से फरार चल रहे कांग्रेसी नेता बाबू नाटी सोनकर को आज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, पुलिस ने आरोपी कांग्रेस नेता को आज जबलपुर शहर से गिरफ्तार किया है।

आरोपी के घर से मिला था अवैध हथियारो का जखीरा

करीब एक माह पहले भानतलैया स्थित कांग्रेस नेता बाबू सोनकर के घर जब पुलिस ने दबिश दी थी तो उसके घर से करीब 40 जुआरी गिरफ्तार हुए थे, जिनके पास से 7 लाख रु भी बरामद हुए थे,वही पुलिस ने जब अपनी तलाशी और तेज की तो बाबू सोनकर के घर से हथियारो का जखीरा मिला था, जिसे पुलिस ने जब्त करते हुए कांग्रेसी नेता और उसके दो बेटो को आरोपी बनाया था।

कार्रवाई के बाद से ही बाबू सोनकर और उसके बेटे हो गए थे फरार

पुलिस ने भान तलैया स्थित कांग्रेसी नेता बाबू सोनकर के घर जब छापा मारा था उसी दौरान मौके का फायदा उठाते हुए बाबू सोनकर और उसके दो बेटे गज्जू और मोनू सोनकर भी मौके से फरार हो गए थे, हालांकि कुछ दिन बाद ही पुलिस ने गज्जू और मोनू सोनकर को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि बाबू सोनकर लगातार फरार चल रहा था।

बाबू का साथी भाईलाल भी हुआ गिरफ्तार

करीब एक माह पहले जब पुलिस ने फड़बाज बाबू सोनकर के घर जुआ रेड मारी थी तो उस समय बाबू के साथ साथ उसका साथी भैयालाल भी  फरार हो गया था। आज हनुमानताल थाना पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित कुमार की माने तो जो भी आरोपी अभी इस मामले में फरार है उनकी भी गिरफ्तारी की जायेगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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