ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों आंदोलन के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) पर झूठ बोलने के आरोप लगाए हैं। पार्टी ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों को लकर झूठ बोल रही है, मंडियों को लेकर झूठ बोल रही है। जिसका परिणाम उसे भविष्य में भुगतना होगा।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) के राज्य सचिव जसविंदर सिंह (Javindar Singh) ने बयान जारी करते हुए कहा कि जब पूरे देश का किसान तीन कृषि बिलों को खत्म करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग को लेकर तीन माह से अधिक समय से आंदोलन कर रहा है, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का यह कहना है कि मंडी व्यवस्था खत्म नहीे होने जा रही है, सरकार द्वारा बोला जा रहा सफेद झूठ है। पिछले छह माह में प्रदेश में मंडियों की हालत चरमरा गई है।
ये भी पढ़ें – फील्ड में तैनात बिजली कंपनी के स्टाफ के साथ ड्यूटी पर मारपीट की तो होगी FIR
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 268 मंडियां थी, इसमें सरकार ने ही 9 मंडियों का विलय कर उन्हें खत्म कर दिया है। बाकी बची 259 मंडियों में से 49 मंडियों की आय शून्य है। जब इन मंडियों में आमद ही नहीं है, आय ही नहीं है तो फिर इन मंडियो को मंडी कैसे माना जाये। बाकी बची मंडियों की हालत भी खराब है। 143 मंडियों की आय पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी से कम है। 67 मंडियों की आय पिछले साल की तुलना में 55 से 80 फीसदी के बीच है। इन कानूनों के कारण मंडियों की आय में आई कमी से मंडियों की स्थिति 62 प्रतिशत मंडियां अपने कर्मचारियों को वेतन भी समय पर नहीं दे पा रही हैं। मंडी समितियों ने राज्य सरकार से अनुदान के लिए अनुरोध किया है। राज्य सरकार ने चुप्पी साध ली है। यह मंडी व्यवस्था को खत्म करना नहीं तो और क्या है?
ये भी पढ़ें – BJP अनुसूचित जाति मोर्चा में नई नियुक्तियां , MP के इस नेता को मिली बड़ी जिम्मेदारी
सरकार ने गेहूं,सरसों और चने के पंजीकरण की अंतिम तारीख 20 फरवरी और 25 फरवरी रखी थी, मगर प्रशासनिक अव्यवस्था और किसान विरोधी रवैये के कारण आधे किसानों का पंजीकरण नहीं हो पाया है। हमारी मांग है कि सरकार को तारीख बढ़ानी चाहिए ताकि सारे किसानों का पंजीयन हो सके।
माकपा नेता ने कहा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan Government) सरकार पूरी तरह से माफियाओं के कब्जे में है। सीधी में हुए बस हादसे में 54 लोगों की मौत रोडवेज के निजीकरण, प्राईवेट बस आपरेटरों की मनमानी और खनन माफियाओं की गुंडागर्दी का परिणाम है। उन्होंने आरोप लगाए कि प्रदेश में 90 प्रतिशत बसों के मालिक भाजपा नेता हैं। छुईयां घाटी पर जिस सीमेंट कंपनी के डम्परों के कारण सात दिन से जाम लगा था, उनके साथ मुख्यमंत्री के रिश्ते जगजाहिर है। इसीलिए 54 लोगों की मौत की जिम्मेदारी न सरकार ली है और न किसी अफसर पर डाली गई है। मगर इस हादसे में संवेदना व्यक्त करने गए मुख्यमंत्री को अगर मच्छर काट लेते हैं तो दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाता है।
प्रदेश में बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं की लूट और जबरिया वसूली के नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं। राजधानी भोपाल में ही जब विधान सभा चल रही है, तब बिजली कंपनी ने नगर निगम द्वारा बिल का भुगतान न होने पर सात दिन शहर की स्ट्रीट लाईट और तीन दिन तक कालोनियों की स्ट्रीट लाईट को काट कर रखा। बिजली कंपनियों ने कोलार और नर्मदा परियोजनाओं की बिजली काटने की धमकी भी दी। इन परियोजनाओं से राजधानी की 70 फीसदी आबादी को जल प्रदाय होता है। भुगतान के बाद ही यह राजधानी का अंधेरा दूर हो सका। बिजली कंपनियों की लूट इस हद तक है कि भोपाल जिले में ही ग्रामीण क्षेत्रों में 50 ट्रैक्टर, 120 बाइक और 150 पानी की मोटरों की कुर्की की है। शहर में भी दो कारें और एक एक्टिवा की कुर्की बिजली कंपनी कर चुकी है। राजधानी में ही यह अंधेरगर्दी चल रही है तो पूरे प्रदेश में बिजली कंपनियों की लूट और वसूली का अंदाजा लगाया जा सकता है।
माकपा नेता जसविंदर सिंह (Javindar Singh) मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि वे मिलावटखोरों को जमीन में गाढ़ देंगे। मगर वास्तव में सरकार मिलावटखोरों को बचाने में लगी है। भिंड के कलेक्टर द्वारा भाजपा के एक नेता के जहां मारे गए छापे के अगले ही दिन उनका तबादला सिर्फ ईमानदारी अधिकारियों को हतोत्साहित करने और मिलावटखोरों को यह संदेश देने के लिये है कि भाजपा सरकार उनके साथ है। हर तरह से विफल प्रदेश सरकार जनता के बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। इसीलिए कभी लव जेहाद, कभी धर्मांतरण और कभी पत्थरबाजों पर कानून के बहाने साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही है। उन्होंने कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राज्य सरकार की इन सारी नीतियों की निंदा करती है और इनके खिलाफ व्यापक अभियान चलाने का आव्हान करती है। हमारी पार्टी कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का भी समर्थन करती है।