सरकारी मुलाजिमों को कलेक्टर की ताकीद, एक भी टीका चूका तो फांसी टांग दूंगा

डबरा, सलिल श्रीवास्तव। “मुझे एक दिन भी मतलब नहीं है, अगर एक दिन भी डिले हुआ तोहम मैं फांसी टांग दूंगा”, यह शब्द है ग्वालियर जिले के कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के, जिन्होनें आज तहसील में अधिकारियों के साथ बैठक ली। कौशलेन्द्र विक्रम सिंह मंगलवार को जब भितरवार पहुंचे और वहां उन्होनें अधिकारियों से टीकाकरण की जानकारी ली। जानकारी के दौरान जब उन्हें पता चला कि अधिकारियों द्वारा टीकाकरण में लापरवाही बरती जा रही है तो वह आग बबूला हो उठे और वहां बैठे अधिकारियों से टीकाकरण शिविर न लगने का कारण पूछा। अधिकारीयो के जवाब पर उन्होनें कहा “मुझे को मतलब नहीं है अगर एक दिन भी डिले होगया तो में फांसी टांग दूंगा।”

यह भी पढ़ें …MPPSC Exam 2021: उम्मीदवारों के लिए राहत भरी खबर, परीक्षा की अधिसूचना जारी, यहां देखें अपडेट

हुआ यह कि अधकारियों कि बैठक के दौरान जब विक्रम सिंह को पता चला कि तहसील में बीते चार दिन से टीकाकरण शिविर का आयोजन नहीं किया गया तो उन्होनें इस बात का जवाब अधिकारी के माँगा। अधिकारी के टालमटोल जवाब पर वे नाराज़ हो गए और यह बयान दिया। इसके अलावा उन्होनें अधिकारीयों से इस बात कि जानकारी SDM भितरवार को न देने का कारण पुछा । उपयुक्त जवाब न मिलने पर उन्होनें कहा कि मुझे मतलब नहीं कि आप टीकाकरण कैसे करेंगे पर मुझे शतप्रतिशत टीकाकरण चाहिए।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।