डबरा प्रशासन की अतिक्रमण पर कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति, पहले ज्यादा फुटपाथों और सड़कों पर दिख रहे ठेले

Shashank Baranwal
Published on -
dabra

Dabra News: मध्य प्रदेश के डबरा शहर की सड़कों पर निरंतर भारी जाम की स्थिति देखने को मिलती है। जिसके कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है ऐसी स्थिति डबरा में सालों से बनी हुई है। जिसकी जानकारी शासन और प्रशासन दोनों को भली भांति है। उसके बाद भी आज तक डबरा में इन समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। लेकिन आपको बता दे कुछ समय से डबरा प्रशासन ने डबरा की सड़कों और डबरा ओवरब्रिज के नीचे अवैध तरीके से अतिक्रमण कर ठेला, गुमटी लगा रहे दुकानदारों को हटा दिया है और दुकानदारों को एक सुनिश्चित स्थान पर दुकान लगाने की हिदायत भी दी है। वहीं आदेश का उल्लंघन करने वालों पर चालान का भी प्रावधान निकाला है। लेकिन क्या डबरा प्रशासन इस मुहिम पर पूरी तरह काम कर रहा है या नहीं आइए आपको विस्तार से बताते हैं।

पहले से ज्यादा दिख रहे ठेले और गुमटियां

प्रशासन ने डबरा ओवरब्रिज के नीचे से और बाजार में बने फुटपाथों पर सालों से अवैध कब्जा किए हुए गुमटी, ठेले हटवाने की मुहिम चलाई है। जिसके लिए प्रशासन निरंतर करवाई कर रहा है। लेकिन डबरा ओवरब्रिज की नीचे से ठेले और गुमटियाँ हटाए तो गए हैं, लेकिन फिर से अतिक्रमणकारी पहले से ज्यादा सड़कों पर अतिक्रमण किए हुए दिखाई दे रहे हैं। जिसका प्रशासन को पता होने के बावजूद भी इन पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही या यूं कहें कि प्रशासन की कार्रवाई ढीली पड़ चुकी है, क्योंकि प्रशासन के कर्मचारी ब्रिज के दाएं बाएं बैरिकेड लगाएं हुए हैं उसके बाद भी ठेले और रेड़ियो को ब्रिज के नीचे जाने के लिए एंट्री कैसे मिल जाती है। यह प्रशासन की लापरवाही को साफ तौर से बयां कर रहा है, क्योंकि अतिक्रमणकारियों को प्रशासन के कर्मचारीयों का कहीं ना कहीं संरक्षण मिलता दिखाई दे रहा है।

डबरा से अरूण रजक की रिपोर्ट


About Author
Shashank Baranwal

Shashank Baranwal

पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

Other Latest News