डबरा में गरीब ठेले वाले परेशान, नगर पालिका कर्मचारी अतिक्रमण हटाने के बाहने मनमानी तरीके से वसूल रहे रूपए

Shashank Baranwal
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Dabra

Dabra News: मध्य प्रदेश के डबरा शहर में नगर पालिका कर्मचारी और अधिकारी अतिक्रमण हटाओ के बहाने से गरीब लोगों के साथ अत्याचार कर रही है। कर्माचरारी और अधिकारियों द्वारा गरीब ठेले वाले, सब्जी विक्रेताओं से मनमाने तरीके से पैसा वसूल किया जा रहा है। जिसके कारण ठेले वालों का दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल हो गया है।

मनमानी तरीके से अधिकारी वसूल रहे रुपए

ठेले वाले सब्जी विक्रेता नितिन खटीक निवासी गोमतीपुर वार्ड नंबर 17 ने बताया कि वह गली और बाजारों में घूम-घूम कर ठेले पर रखकर अपनी सब्जी बेचते हैं। जब वह सब्जी बेचकर लगभग 7 बजे अपने घर जा रहे थे, तभी नगर पालिका के पास सड़क पर से ही नगर पालिका कर्मचारियों द्वारा उनके ठेले से तराजू और बांट उठा लिए गए। जिस पर उन्होंने नगर पालिका कर्मचारी और अधिकारियों को समझाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं सुना। नितिन खटीक ने बताया कि यह एक के साथ नहीं बल्कि अधिकतर सभी ठेले वालों के साथ हो रहा है। कर्मचारियों द्वारा मनमानी तरीके से पैसों की वसूली की जा रही हैं। वहीं तराजू बाट वापस करने के लिए नगर पालिका सीएमओ ने उनसे 500 रुपए की रसीद काटने के बाद ही तराजू बाट मिलने की बात कही। इसके साथ नितिन खटीक ने बताया कि नगर पालिका कर्मचारी और अधिकारी कुछ पहचान के ठेले वालों से कम पैसों में और कुछ को फ्री में छोड़ देते हैं। लेकिन कुछ को 500 रुपए से कम रसीद काटे बिना नहीं छोड़ते हैं। जिससे अधिकतर सभी ठेले वालों को परेशानी हो रही है। इसकी शिकायत लेकर वह एसडीएम कार्यालय भी पहुंचे। लेकिन उनकी मुलाकात डबरा एसडीएम से भी नहीं हो सकी। आखिरकार ऐसी मनमानी गरीब ठेले वालों के साथ क्यों की जा रही है।

डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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