मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के तबादलों की आखिरी तारीख निकल जाने के बाद जहां थोक बंद तबादलों से पूरे प्रदेश में कर्मचारी प्रभावित हुए हैं वहीं सूबे के दमोह में पटवारी और आर आई नाराज दिखाई दे रहे हैं, इन लोगों की नाराजगी तबादलों से नहीं है बल्कि तबादलों के बाद आये संसोधन आदेश से है।
दरअसल सरकार ने जो नियम बनाये थे उसके मुताबिक पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को उनकी गृह तहसीलों से अलग कर दूसरी तहसीलों में पोस्टेड किया गया मतलब उनके तबादले कर दिए गए, इस फेरे में बड़ी संख्या में जिले भर के पटवारी आये लेकिन जैसे ही तबादलों की आखिरी तारीख निकली इनमें से कई पटवारियों के तबादलों के संसोधन आदेश जारी कर उनके तबादले निरस्त कर उन्हें फिर से वही पदस्थ कर दिया गया जहां वो थे मतलब गृह तहसीलों में फिर पदस्थापना कर दी गई।
तबादलों में राजनैतिक सरंक्षण के आरोप
बताया जा रहा है कि राजनैतिक सरंक्षण के चलते ये सब हुआ। इस बात से नाराज पटवारी अब आंदोलन की राह पर हैं और जिन पटवारियों को उपकृत किया गया उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं। आज नाराज पटवारियों ने कलेक्टर को एक ज्ञापन देकर सरकार के नियमों के तहत आदेश जारी करने की मांग की।
कलेक्टर ने निराकरण का दिया भरोसा
पटवारियों का आरोप है कि आदेश में सरकार की मंशा और नियमों को दरकिनार किया गया है और बड़ा गड़बड़झाला किया गया है। पटवारियों का खिलाफ खड़े होना स्थानीय प्रशासन के गले की फांस बन गया है। दमोह के कलेक्टर सुधीर कोचर ने बताया है कि पूरे मामले की जांच करा कर प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है जिसे प्रभारी मंत्री सहित सरकार को भेजा जाएगा।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट





