Damoh News : शराब की दुकान नहीं हटाई गई तो करेंगे उग्र आंदोलन

दमोह के कलेक्टर दफ्तर में बड़ी संख्या में आम चोपरा के रहवासी पहुंचे। उन्होंने यहां की शराब दुकान को बंद करने की मांग की।

Amit Sengar
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Damoh News : मध्य प्रदेश में ताजपोशी के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ख़ुले में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया। तो फिर रिहायशी इलाकों में शराब दुकाने न खोले जाने की बात कही लेकिन सीएम के आदेश का शायद दमोह में कोई असर नही है। यही कारण है कि जिले के मुखिया यानी कलेक्टर के ऑफिस के कुछ दूर ही बाकायदा खुले में मीट मटन की दुकानें खुली है। शराब का अड्डा है। अब इस सब से दुखी लाडली बहनें सड़कों पर आने मजबूर है। आज दमोह के कलेक्टर दफ्तर में बड़ी संख्या में आम चोपरा के रहवासी पहुंचे। उन्होंने यहां की शराब दुकान को बंद करने की मांग की।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, दमोह जबलपुर स्टेट हाइवे पर कलेक्टर ऑफिस से कुछ ही दूरी पर शराब दुकान है। आसपास घना रिहायशी इलाका है। कुछ कदम पर पॉलिटेक्निक कॉलेज और हॉस्टल है। और आसपास दो बड़े मंदिर है। बावजूद इसके यहाँ शराब का अड्डा है। जब शराब है, तो माँस मछली स्वाभाविक है। ये सब यहाँ के लोगों की परेशानी बन गया है। महिलाओं के मुताबिक शाम होते ही स्टेट हाइवे पर चलना मुश्किल हो जाता है। शराब दुकान के आसपास लाखों की कीमत के बने मकानों में रहने वाले लोगों को शाम से घरों में कैद हो जाना पड़ता है। उनकी ज़िंदगी पर बेहद खराब असर पड़ रहा है। आये दिन बबाल गाली गलौच का सामना यहाँ करना पड़ता है। कई बार पहले भी यहाँ के वाशिंदे शिकायत दर्ज करा चुके हैं। लेकिन सरकारी शराब दुकान होने की वजह से कोई कार्रवाई नही हुई। अफसरों ने सलाह दी कि नए सत्र यानी मार्च खत्म होने के समय इस मांग को उठाया जाए, तो सरकार स्थान परिवर्तन कर सकती है।

इस बार मार्च क्लोजिंग के वक़्त आम चोपरा के बाशिंदे सामने आये हैं। इस मांग में शामिल सत्ताधारी भाजपा के नेता भी है। जो महिलाओं के साथ उनकी आवाज़ को बुलंद कर रहे हैं। ज्ञापन देने आई महिलाओं का कहना है कि अब शराब दुकान नही उठी तो वो उग्र आंदोलन करने मजबूर होंगी। वही जिला प्रशासन के अफसर कहते हैं कि नियम संगत कार्रवाई की जाएगी।

दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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