Damoh News: अचानक जिला अस्पताल पहुँची पुलिस, शराब पीकर घूमने वालों को भेजा जेल

जिला अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को लेकर कई बार इसकी शिकायत भी की। इस दौरान कुछ कार्रवाईयां भी हुई, लेकिन शराब की दुकानों से निकलकर अस्पताल आने वालों की तादात कम नहीं हुई।

Shashank Baranwal
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Damoh News: मध्य प्रदेश के दमोह मुख्यालय में सबसे ज्यादा शराबी जिला अस्पताल परिसर में नजर आते हैं। दरअसल, इसकी वजह यह है कि अस्पताल के नजदीक ही देशी शराब का अड्डा है। इस अड्डे से शराब पीकर निकलने वाले अधिकांश लोग अस्पताल परिसर में या तो झूमते दिखते है या गाली गलौज करते दिखाई देते हैं। वहीं, शराबियों का ये उत्पात अब आम हो चुका है और इलाके में बड़ी समस्या बनता जा रहा है।

अचानक बड़ी संख्या में पहुँची पुलिस

जिला अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को लेकर कई बार इसकी शिकायत भी की। इस दौरान कुछ कार्रवाईयां भी हुई, लेकिन शराब की दुकानों से निकलकर अस्पताल आने वालों की तादात कम नहीं हुई। वहीं, जब रोजाना शराबियों के उत्पात नजर आने लगे तो दमोह पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया है। बीती रात अचानक बड़ी संख्या में ट्रैफिक पुलिस के जवान और आला अधिकारी खुद जिला अस्पताल पहुंचे, जिसके बाद हड़कम्प मच गया। पुलिस वालों ने इस परिसर में घूम रहे, आने-जाने वाले लोगों को पकड़ना शुरू किया और फिर मशीन से इस बात की जांच करना शुरू किया कि कौन, कितनी शराब पिया है? ज्यादा तादाद में शराब पिने वाले लोगों को दवाखाने से सीधे पुलिस थाने भेजा गया और उन पर कार्रवाई की गई।

लगातार मिल रही शिकायत पर हुई कार्रवाई

दमोह जिले के एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा के मुताबिक अस्पताल परिसर में शराबखोरी की लगातार शिकायतें मिल रही थी, जिसे देखते हुए यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने आगे बताया कि ये सिर्फ आज भर नहीं होगा बल्कि कभी भी पुलिस यहाँ रेड मार सकती है। इसलिए जो लोग शराब पीकर अस्पताल में आ रहे हैं, वो सतर्क हो जाएं वरना कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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