रेत का अवैध उत्खनन करते तीन ट्रैक्टर पकड़े

Amit Sengar
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सेवढा,राहुल ठाकुर। मानसून सत्र प्रारंभ होने के बाद एनजीटी के द्वारा रेत के अवैध खनन (illegal excavation of sand) को लेकर रोक लगा दी गई थी लेकिन स्थानीय शासन की मिली जुली जुगलबंदी के कारण यह रोक सेबड़ा तहसील में कहीं भी देखने को नहीं मिल रही है लोकल रेत माफियाओं के द्वारा शाम होते ही रेत के कारोबारियों के द्वारा वन विभाग व राजस्व विभाग की सीमाओं में अवैध उत्खनन प्रारंभ कर दिया जाता है वहीं अस्वीकृत रेत खदानों पर लोकल रेत माफिया प्रशासन की रेकी कर रेत के इस काले कारोबार को अंजाम देते हैं।

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उक्त खबर मीडिया के द्वारा प्रकाशित करने के बाद शासन प्रशासन के द्वारा संज्ञान में लिया गया और खाना पूर्ति करते हुए मंगलवार की सुबह मुखबिर की सूचना पर सेवड़ा पुलिस के द्वारा सिंध नदी स्थित कन्दरपुरा घाट पर वन विभाग की सीमा के पास तीन ट्रैक्टर रेत का खनन कर भरते हुए पकड़े गए मौके पर ट्रैक्टर चालक व रेत माफिया पुलिस को देख आनन-फानन में फरार हो गए।

रेत का अवैध उत्खनन करते तीन ट्रैक्टर पकड़े

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वहीं पुलिस को कड़ी मशक्कत के बाद तीनों ट्रैक्टरों को पुलिस आरक्षकों की सहायता से सेवड़ा थाने तक लाया गया खबर लिखे जाने तक तीनों ट्रैक्टरों पर अभी तक कोई कार्यवाही प्रस्तावित नही की गई देखना यह है कि एनजीटी की रोक के बाद व बिना कोई स्वीकृत खदान होने बाबजूद इन रेत के वाहनों पर क्या कार्यवाही की जाती है यह विषय आमजन में चर्चा का विषय बना हुआ है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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