अजब गजब: जब भोपाल की सड़क पर हिरण ने भरी कुलांचे

Gaurav Sharma
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पीपीपीगुरुवार की शाम भोपाल में उस समय हैरतअंगेज नजारा देखने को मिला जब एक हिरन ने मुक्त अंदाज में भोपाल की सड़क पर दौड़ लगाई। बाद में वन विभाग की टीम ने इस हिरन को रेस्क्यू करके वापस जंगल में छोड़ दिया।

भोपाल के गांधीनगर के रहवासी गुरुवार की शाम उस समय भौचक्के रह गए जब उन्हें तेजी के साथ सड़क पर दौड़ता एक हिरन दिखाई दिया। बताया जा रहा है कि यह हिरण पास ही किसी ग्रामीण इलाके से आ गया था। भोपाल की सड़कों पर दौड़ते ट्रैफिक को देखकर हिरण में भी जोश आ गया और उसने भी ट्रैफिक के साथ-साथ दौड़ लगा दी। बाद में यह हिरण गांधीनगर थाने के पास तक पहुंच गया और उसके बाद एक दूध की डेरी में जाकर आराम करने लगा। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना तत्काल वन विभाग के अमले को दी और अमले ने आकर हिरण को सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया और उसे वापस जंगल में छोड़ दिया।

यह पहला मौका नहीं जब भोपाल की शहरी आबादी में वन्य प्राणी आ जाते हो। स्वर्ण जयंती पार्क में इन दिनों एक तेंदुए की आमद से लोग घबरा हुए हैं। हालांकि वन विभाग दावा कर रहा था कि यह तेंदुआ अब निकल गया है लेकिन कल ही एक अधिकारी की पत्नी ने मॉर्निंग वॉक करते समय उसे दोबारा देखा और एक बार फिर स्वर्ण जयंती पार्क मे घूमने वालों को अलर्ट कर दिया गया है और वन विभाग फिर से तलाश में जुट गया है कि आखिर तेंदुआ छुपा कहां है? शहरों की ओर वन्य प्राणियों का आगमन कोई सामान्य बात नहीं है। दरअसल जिस तेजी से हरे भरे जंगल कंक्रीट के जंगलों में तब्दील हो रहे हैं, उससे वन्य प्राणी अपना स्वाभाविक घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं और आबादी की ओर अग्रसर हो रहे हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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