अशोकनगर, हितेंद्र बुधौलिया। भारतीय सनातन संस्कृति में वैदिक काल से देव प्रबोधिनी एकादशी का बड़ा महत्व है। 4 माह के शयन के बाद आज से देवप्रबोधन हो जाता है। साथ ही चार माह चतुर्मास से बंद हुए सभी मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। इस त्यौहार को अशोकनगर शहर में मंगल प्रभात फेरी के रूप में मनाया जाता है।
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करीब 31 वर्ष से अक्षर पीठ संस्थान द्वारा देव प्रबोधिनी एकादशी पर सुबह 4:45 बजे से भगवान राजराजेश्वर मंदिर से शंखनाद के साथ मंगल प्रभात फेरी शुरू हो जाती है जो शहर के प्रमुख मार्गों से निकलकर हजारेश्वर मन्दिर प्रांगण में खत्म होती है। यहां मन्त्रोचारण से देवों का जागरण किया जाता है। इस आयोजन में हजारों लोग भाग लेते हैं। इस दौरान महिलाएं दीप कलश लेकर प्रभात फेरी में शामिल होती हैं। जिन रास्तों से प्रभात फेरी निकलती है, उन रास्तों पर दीप यज्ञ एवं रंगोली के साथ आतिशबाजी की जाती है।
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मंगल प्रभात फेरी के आयोजन पंडित कैलाशपति नायक ने बताया कि- यूं तो यह परंपराएं सनातनी धर्म में हमेशा से होती आ रही है, मगर अशोकनगर शहर के लोगों ने इस परम्परा को ऐतिहासिक बना दिया है। 31 साल पहले कुछ लोगों के साथ शुरू किया गया यह धार्मिक आयोजन आज विशाल रूप में आयोजित होने लगा है। पंडित कैलाशपति नायक ने बताया कि लोग इससे धीरे-धीरे करके जुड़ते गए और ये विशाल आयोजन बनता गया। देव प्रबोधनी एकादशी के दिन बिना आमंत्रण के शहर के लोग सुबह एक साथ निकल कर राम नाम के दिव्य घोष के साथ नगर भ्रमण कर देवों के जागरण का सामूहिक आह्वान करते हैं। यह पूरा आयोजन बड़ा ही दिव्य एवं अलौकिक हो जाता है। हजारो संख्या में महिलाएं झिलमिलाते दीपों की रोशनी से सूर्योदय से पहले एक आभामय वातावरण शहर में बना देती हैं। करीब दो किलोमीटर की यह मंगल प्रभातफेरी डेढ़ घंटे तक शहर के कई मागों से दिव्यघोष करती हुई निकलती है। इस दौरान कई स्थानों पर प्रभातफेरी का फूलों की बरसात कर स्वागत किया जाता है। क्षेत्रीय विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने रसीला चौराहे पर अपने साथियों के साथ फूलों की बरसात कर प्रभात फेरी का का स्वागत किया।