देवास, सोमेश उपाध्याय। शनिवार को जटाशंकर तीर्थ के ब्रहमलीन सन्त केशवदासजी त्यागी(फलाहारी बाबा) का 15वां निर्वाण उत्सव अत्यंत सादगीपूर्ण माहौल में मनाया गया। आयोजन में कोरोना महामारी गाइडलाइन का असर साफ असर गया। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद यह पहला वर्ष था जबकि आयोजन में श्रद्धालुओं की भागीदारी नगण्य रही। महंत बद्रीदासजी महाराज उपस्थिति में बटुकों ने पादुका अभिषेक किया और फलाहारी बाबा की स्मृति में केशववृक्ष रोपित किया गया।
जलझूलनी एकादशी पर ही बाबाजी ने देहत्याग किया था। देवनगरी अयोध्या में उन्होंने जन्म लिया था और विभिन्न देवस्थलों पर भ्रमण के बाद जटाशंकर महादेव मंदिर पर उन्होंने ठहराव लिया एवं यहां की अलौकिक शांति व सूक्ष्म संतों के वास से प्रभावित होकर उन्होने जटाशंकर को ही कर्मभूमि बनाया। वर्तमान में फलाहारी बाबा द्वारा शुरू किए गए विकास कार्यों के चलते जटाशंकर सर्वसुविधायुक्त धर्मस्थल है। उन्होंने हमेशा फलाहार ही किया लेकिन आमजन और श्रद्धालुओं के लिए अपना अन्नक्षेत्र सदैव खुला रखा।
अपने वर्चुअल संदेश में वाग्योग चेतना पीठ के अधिष्ठाता मुकुंद मुनि पंडित रामाधार द्विवेदी ने कहा कि जटाशंकर को जनप्रिय बनाने वाले फलाहारी बाबा बड़े दिव्य महात्मा थे। उनकी महान कीर्ति, यश व उत्तम गुण की बराबरी करने वाले बहुत कम लोग हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानव कल्याण मे समर्पित किया था। सतत भण्डारा संचालित कर उन्होंने अन्नदान की प्रेरणा दी है।हमे उनके आदर्श पथ पर चलने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम को लेकर तीर्थ के मुख्य द्वारा के समीप स्थित श्वेत संगमरमर समाधि स्थल का पुष्प और विद्युत साजसज्जा से श्रृंगारित किया गया था। ब्रह्ममुहूर्त में पंडित मुकेश शर्मा के आचार्यत्व में भगवान जटाषंकर का लघुरूद्राभिषेक किया गया। इसके उपरांत बद्रीदासजी महाराज ने दूध, घी, शकर, शहद, इत्र,केशर आदि पञ्चद्वय अभिषेक,पादुका रुद्राभिषेक, गुरु पूजन, वेदिक क्रियाओ के साथ पादुका का अभिषेक किया। पुजारी प.आनन्द मिश्रा व दीपक उपाध्याय द्वारा महाआरती की गई। इस दौरान मुख्य रूप से षठदर्शन रेवा मण्डल के अध्यक्ष महन्त अयोध्यादासजी खाकी, महन्त राघवदासजी व सन्त जगदीशदास महाराज उपस्थित रहे। इस अवसर महन्त बद्रीदासजी फलाहारी बाबा का स्मरण करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आदरणीय गुरूजी तीर्थ के प्रत्येक आयोजन में विद्यमान हैं। उनकी सूक्ष्म उपस्थिति ही हमें प्रेरित करती है। अयोध्यादासजी ने संतों का महत्व बताते हुए फलाहारी बाबा के जीवन पर प्रकाश डाला। गुरुगादी स्थल पर ब्राह्मण बटुकों ने श्रीराम जय राम, जय जय राम का संकीर्तन किया। कोरोना गाइडलाइन के चलते आयोजन का स्वरूप लघु था और श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया था कि वे घर पर ही फलाहारी बाबा का पूजन करें और एक पौधारोपण करें। इस अवसर पर तीर्थ की यज्ञशाला में जाली निर्माण का कार्य करने वाले नेवरी के कारीगर घनश्याम कारपेंटर का शाल-श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया गया।
जटाशंकर सेवा समिति के सदस्यों ने बताया कि जल्द ही फलाहारी बाबा के जीवन दर्शन पर पुस्तक का प्रकाशन किया जाएगा। पुस्तक में फलाहारी बाबा से जुड़े संस्मरण व चित्र प्रकाशित किए जाएंगे। समिति द्वारा पुस्तक प्रकाशन की तैयारियां की जा रही है। यदि किसी के पास फलाहारी बाबा से जुडी किसी रोचक घटना का ब्यौरा हो तो वह तीर्थ पर संपर्क कर सकते है।